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एक पुस्‍तक में होगा दुनिया भर के पौधों का ब्योरा, विश्‍व में आयुर्वैदकऔषधियों का डंका

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) विश्व के औषधीय गुणों वाले पौधों का इनसाइक्लोपीडिया तैयार कर रहा है। इसमें जलवायु क्षेत्र पौधे में पाए जाने वाले रसायनिक तत्व उसके औषधीय गुण आदि भी दर्ज किए जाएंगे।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 07:07 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 07:08 PM (IST)
एक पुस्‍तक में होगा दुनिया भर के पौधों का ब्योरा, विश्‍व में आयुर्वैदकऔषधियों का डंका
पौधों पर लिखी जाने वाली पुस्‍तक का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस महामारी बनकर फैला लेकिन जिस तरह भारत में संक्रमण दर कम और स्वस्थ होने की रफ्तार वैश्विक तुलना में श्रेष्ठ रही, विश्व ने एक बार फिर आयुर्वेद की महत्ता का लोहा माना है। शायद इसी कारण संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) विश्व के औषधीय गुणों वाले पौधों का इनसाइक्लोपीडिया तैयार कर रहा है। इसमें जलवायु क्षेत्र, पौधे में पाए जाने वाले रसायनिक तत्व, उसके औषधीय गुण और किस बीमारी में प्रयोग करते हैैं, यह सभी जानकारी मिलेगी। इनसाइक्लोपीडिया 600 खंडों में होगा, जिसे विश्व के वानस्पतिक विज्ञानी तैयार करेंगे। यूनेस्को ने सभी लेख मांगा है। इनसाइक्लोपीडिया बुक और ई-बुक, दोनों फार्म में होगी। भाषा संबंधी समस्या न हो, इसके लिए स्विट्जरलैैंड की यूनिवर्सल नेटवर्किंग डिजिटल लैैंग्वेज फाउंडेशन जेनेवा के साथ करार किया गया है। यह विश्व कोश यूनेस्को इनसाइक्लोपीडिया आफ लाइफ सपोर्ट सिस्टम के तहत तैयार किया जा रहा है।

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भारत में 1948 से तैयार रही है पुस्‍तक

पौधों की औषधीय महत्ता समझते हुए भारत में 1948 से ही इस दिशा में काम हो रहा है। 1992 तक काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) ने 18 खंडों में विभिन्न जीवों के साथ 1470 पौधों की फोटो केमिस्ट्री, उसके औषधीय गुण समेत समस्त जानकारी दी है।

गोरखपुर का भी होगा योगदान

इनसाइक्लोपीडिया में गोरखपुर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डीके सिंह का लेख भी शामिल होगा। प्रो. सिंह ने बताया कि आठ अक्टूबर को रीठा पर 10 हजार शब्दों में लेख लिखने का प्रस्ताव यूनेस्को की तरफ से मिला है, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। आठ माह में लेख पूरा करना है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 में आयुर्वेद की महत्ता को देखते हुए विश्व ने इसकी उपयोगिता समझी है, इसीलिए ऐसे पौधों के रासायनिक एवं  औषधीय गुण एकत्र किए जा रहे हैैं। भारत में यह काम पहले से हो रहा है। प्रो. डीके सिंह गोरखपुर विश्वविद्यालय में जंतु विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान विभाग के अध्यक्ष रह चुके हैैं। उन्होंने वर्ष 2013-14 में शोध के बाद निष्कर्ष दिया था कि रीठा में कीटनाशक गुण हैैं। यह रोगों को फैलने से रोकने और कैंसर के उपचार में मददगार है। लिवर को मजबूत करता है।


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