85 किलोमीटर केबिल बिछने के बाद आई गुणवत्ता की याद, हर कदम पर हुई मनमानी Gorakhpur News
गोलघर इलाके में 85 किलोमीटर अंडरग्राउंड केबिल बिछ गई। नगर विधायक ने एक शिकायत पर जांच की तो गुणवत्ता की पोल खुल गई।
दुर्गेश त्रिपाठी, गोरखपुर। गोलघर इलाके में 85 किलोमीटर अंडरग्राउंड केबिल बिछ गई। नगर विधायक ने एक शिकायत पर जांच की तो गुणवत्ता की पोल खुल गई। तब जिम्मेदार भी हड़बड़ा गए। मुख्यमंत्री तक मामला पहुंचा तो उन्होंने अफसरों को फटकार लगाई। 'दैनिक जागरण' ने लगातार अंडरग्राउंड केबिल डालने में अनियमितता की खबरें प्रकाशित की, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता अवधेश सिंह ने कार्रवाई का आश्वासन भी दिया, लेकिन कुछ किया नहीं।
पिछले साल पुराना गोरखनाथ क्षेत्र से अंडरग्राउंड केबिल बिछाने का काम शुरू किया गया था। तब भी केबिल बिछाने को लेकर सवाल उठे थे। पर, जब सिंधी कॉलोनी के सामने और आसपास के इलाके में अंडरग्राउंड केबिल बिछाई गई तो मानकों की धज्जियां उड़ा दी गईं। कहीं नाली में ही अंडरग्राउंड केबिल बिछा दी गई तो कहीं सड़क किनारे केबिल का गु'छा छोड़ दिया गया। 'दैनिक जागरण' ने इस मनमानी पर लगातार खबरें प्रकाशित की तो काम में सुधार कराया गया। हालांकि क्षेत्र के अवर अभियंता पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि कार्यदायी एजेंसी केईआइ ने कमी मिलने के बाद अपने एक अफसरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
दिलेजाकपुर में ट्रिपिंग बनी मुसीबत
बक्शीपुर उपकेंद्र के पास स्थित दिलेजाकपुर मोहल्ले में बार-बार ट्रिपिंग उपभोक्ताओं के लिए मुसीबत का सबब बन चुकी है। उपभोक्ताओं का आरोप है कि जब से अंडरग्राउंड केबिल लगी दिक्कत तभी से शुरू हुई। अफसरों से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हालांकि केईआइ के जीएम केटी बाबू का कहना है कि दिक्कत अंडरग्राउंड केबिल से नहीं ओवरलोड से है। इसे बिजली निगम को दूर कराना है।
अलीनगर में सीधे जला रहे बिजली
अलीनगर इलाके में अंडरग्राउंड केबिल की व्यवस्था खराब होती जा रही है। कहीं बॉक्स से बाहर तार लटक रहे हैं तो कहीं बॉक्स से बिजली आपूर्ति न होने के कारण उपभोक्ताओं को सीधे केबिल से तार जोड़कर बिजली जलानी पड़ रही है।
केईआइ का काम पूरा
गोरखनाथ, बक्शीपुर इलाके में केईआइ कंपनी ने काम कराया। कंपनी ने 136 किलोमीटर ओवरहेड और 118.5 किलोमीटर अंडरग्राउंड केबिल का काम कराया। इस कार्य में 45.21 करोड़ खर्च हुए।
एसटी इलेक्ट्रिकल्स का काम अधूरा
गोलघर क्षेत्र में एसटी इलेक्ट्रिकल्स को 30.50 करोड़ रुपये की लागत से डेढ़ किलोमीटर 33 हजार और 15 किलोमीटर 11 हजार की अंडरग्राउंड लाइन बनानी थी। कंपनी ने यह काम पूरा कर दिया है। 147 किलोमीटर अंडरग्राउंड में से 85 किलोमीटर केबिल बिछा दी गई है। कंपनी एक हजार केवीए के 14 ट्रांसफार्मर भी लगा रही है। आरोप है कि अंडरग्राउंड बिछाई गई हाइटेंशन लाइन की जांच हो तो भी मानक पूरे नहीं मिलेंगे।
बड़े अफसर बनाते रहे दबाव
एसटी इलेक्ट्रिकल्स की मनमानी का आलम यह था कि शिकायत के बाद भी कोई जांच की जहमत नहीं उठाता था। जैसे ही जांच की बात शुरू होते शहर के बड़े अफसर मातहतों को फोन कर देते। यदि कोई फाइल जांच के लिए रोकी जाती थी तो वही अफसर तत्काल फोन करना शुरू कर देते थे। बिजली निगम में चर्चा है कि बड़े अफसर तबादला के बाद चले गए लेकिन अपने पीछे कई अफसरों को फंसा दिया।
एसटी इलेक्ट्रिकल्स पर एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है। बिजली निगम के अफसरों की भी कमेटी बना दी गई है। कार्यों की मॉनिटङ्क्षरग करने वाली एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है। - देवेंद्र सिंह, चीफ इंजीनियर
निगरानी फर्म मेधाज के खिलाफ एफआइआर
आइपीडीएस योजना के तहत हो रहे कार्यों की निगरानी की जिम्मेदारी मेधाज एजेंसी को दी गई थी। एजेंसी का काम एसटी इलेक्ट्रिकल के कार्यों की मॉनिटरिंग, अंडरग्राउंड केबिल के मानकों को देखना और उपकरणों की जांच करना था, लेकिन एजेंसी के जिम्मेदारों पर आरोप है कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने गलत काम होने दिया। मेधाज के खिलाफ शनिवार को कैंट थाने में तहरीर दी गई थी। रविवार को पुलिस ने पीएमए मेधाज के खिलाफ भी धोखाधड़ी व सरकारी कामकाज में आपराधिक विश्वासघात की धाराओं में केस दर्ज लिया। कहा गया है कि प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग एजेंसी मेधाज ने अनुबंध के मुताबिक अपने काम में लापरवाही बरती है। फर्म भूमिगत केबल लगाने में मनमानी करती रही और पीएमए ने सूचना नहीं दी। इस एजेंसी की देख-रेख में गोरखनाथ व बक्शीपुर क्षेत्र में भी भूमिगत केबिल लगाने का कार्य हुआ है। अब इस कार्य की भी जांच की मांग उठने लगी है।
जांच रिपोर्ट दबा गए अफसर
दैनिक जागरण में अंडरग्राउंड केबिल में गड़बड़झाला की खबरें प्रकाशित होने के बाद चीफ इंजीनियर देवेंद्र सिंह ने जांच के आदेश दिए थे। जांच अधिकारी तत्कालीन अधीक्षण अभियंता विद्युत कार्य मंडल एनके श्रीवास्तव को बनाया गया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट भी चीफ इंजीनियर को दे दी थी, लेकिन उस रिपोर्ट को दबा दिया गया। बताया जाता है कि यदि रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की गई होती तो मुख्यमंत्री को अब दखल नहीं देनी पड़ती।
तत्कालीन अधीक्षण अभियंता शहर भी कार्यवाही की जद में
अंडरग्राउंड केबिल मामले में तीन अफसरों के खिलाफ कार्यवाही के बाद तत्कालीन अधीक्षण अभियंता शहर अवधेश सिंह भी कार्यवाही की जद में आ गए हैं। उनके तीन साल के कार्यकाल के दौरान शहर में तकरीबन 200 करोड़ से काम कराए गए, लेकिन अधिकांश कार्यों पर सवाल उठते रहे। विभागीय लोगों का कहना है कि अंडरग्राउंड केबल बिछाने में मनमानी की पूरी जानकारी तत्कालीन अधीक्षण अभियंता शहर को थी लेकिन उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की। यहां तक कि दैनिक जागरण में लगातार प्रकाशित हो रही खबरों पर वह कार्यवाही का आश्वासन ही देते रहे।