5.43 करोड़ खर्च, काम मिला मात्र 77 को
अधिकारियों की उदासीनता के कारण मनरेगा मजदूरों को नहीं मिल पा रहा है काम।
गोरखपुर : जनपद के सहजनवां ब्लाक में मनरेगा के तहत विगत वित्तीय वर्ष में पांच करोड़ 43 लाख रुपये खर्च होने के बाद भी एक सौ दिन का काम 22 ग्राम सभाओं के महज 77 परिवार को मिल सका है। हालांकि पूरे ब्लाक में 10,328 सक्रिय जाबकार्ड धारक विभाग में रजिस्टर्ड है। काम नहीं पाने के चलते अधिकांश लोग जीवन यापन के लिए बाहर जाकर मजदूरी कर रहे हैं।
सरकार महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से लोगों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराना चाहती है। ताकि गांव से श्रमिकों का पलायन रुके और श्रमिक अपने परिवार के बीच रहे। सहजनवां ब्लाक में कुल 64 ग्राम सभाएं हैं। प्रशासन ने 327 कार्यों पर कुल पांच करोड़ 43 लाख रुपये खर्च किए हैं। मजदूरों को ज्यादे से ज्यादे रोजगार मिले इसलिए सरकार ने मिट्टी के काम में 60 फीसद करने के लिए कहा है और यह भी कहा कि कार्य में किसी तरह से मशीन का सहयोग नहीं लिया जाए। वैसे नियमों के तहत यदि कोई मजदूर काम नहीं पाता है तो उसको काम उपलब्ध कराने की बाध्यता है। सूत्रों का कहना है कि मानव दिवस का सृजन नहीं होने का कारण ब्लाक में पूर्णकालिक अफसर का नहीं होने के साथ- साथ आए दिन ग्राम सचिवों के गांव का बदलाव भी है। ब्लाक में डेढ़ वर्ष के अंदर आधा दर्जन बीडीओ आए और गए। इसी प्रकार आधा दर्जन सचिव भी यहां से चले गए। ऐसे अवसर भी आए जब प्रधानों के अनुसार ग्राम सचिव नहीं रहे। ऐसी स्थिति में सबसे बुरा असर ग्राम सभाओं के विकास कार्यों के वित्तीय स्वीकृति से लेकर बीडीओ के डोगल के कार्य पर पड़ा। प्रधान मस्टररोल के लिए दौड़ते रहे, इसलिए सरकार की जो योजना प्रत्येक परिवार को एक सौ दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की रही वह फेल हो गई। प्रभारी बीडीओ सहजनवां ज्ञानेंद्र ¨सह ने कहा कि इसमें और लोगों को रोजगार मिलना चाहिए था। इसमें बहुत सुधार की आवश्यकता है क्योंकि यह लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की योजना है।