बौद्ध संस्कृति जानने कुशीनगर पहुंचे पोप के दूत
बौद्ध धर्म संस्कृति व गौतम बुद्ध से जुड़े प्रमुख स्थलों की ऐतिहासिकता को नजदीक से जानने समझने व देखने की इच्छा लिए 32 सदस्यीय रोमन कैथोलिक पादरियों का दल कुशीनगर पहुंचा।
गोरखपुर, जेएनएन। बौद्ध धर्म, संस्कृति व गौतम बुद्ध से जुड़े प्रमुख स्थलों की ऐतिहासिकता को नजदीक से जानने समझने व देखने की इच्छा लिए 32 सदस्यीय रोमन कैथोलिक पादरियों का दल शुक्रवार को कुशीनगर पहुंचा। दल में शामिल पादरी एशिया के विभिन्न देशों में कार्यरत हैं। उक्त पादरी बौद्ध व हिन्दू संस्कृति को पोप की अगुवाई वाली सर्व धर्म संसद से साझा करते हैं।
शुक्रवार को दल ने महापरिनिर्वाण मन्दिर में बुद्ध की 5वीं शदी की शयन मुद्रा वाली प्रतिमा, बुद्ध के अंतिम संस्कार स्थल रामाभार स्तूप और बुद्धकालीन पुरावशेषों का अवलोकन किया। स्थानीय बौद्ध भिक्षुओं व पुरातत्वकर्मियों से स्थल की महत्ता, ऐतिहासिकता, बुद्ध से जुड़े प्रसंग, किवदंतियों, उपदेश व विपश्यना आदि की विस्तार से जानकारी ली। 5वीं शदी की बुद्ध की शयन मुद्रा वाली प्रतिमा की खूबियां देख पादरी अभिभूत दिखे। दरअसल, यह प्रतिमा तीन भिन्न कोण शोक मुद्रा, शयन मुद्रा व मुस्कुराती मुद्रा में दिखती है। दल दो सप्ताह की भारतीय बौद्ध सर्किट की यात्रा पर है। कुशीनगर आने के पूर्व दल ने बोधगया, सारनाथ, राजगीर, नालन्दा का दौरा किया। कुशीनगर से दल बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बनी (नेपाल) रवाना होगा। नेपाल से दल फ़्रांस रवाना हो जायेगा। कुशीनगर में दल का स्वागत टूर ट्रैवल आपरेटर शारदा यादव, होटल रायल रेजीडेन्सी के जीएम (आपरेशन) पंकज कुमार सिंह ने किया।