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डाक्टर की सलाह पर ही लें स्वाइन फ्लू की दवा

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र का वायरल संक्रमण है। सामान्यतया यह वायरस सुअरों

By Edited By: Published: Sun, 01 Mar 2015 01:54 AM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2015 01:54 AM (IST)
डाक्टर की सलाह पर ही लें स्वाइन फ्लू की दवा

जागरण संवाददाता, गोरखपुर :

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स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र का वायरल संक्रमण है। सामान्यतया यह वायरस सुअरों के श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है पर कभी कुछ कारणवश यह सुअरों से मनुष्य में फैल जाता है। अत्यधिक संक्रामक होने के कारण यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता रहता है। इस बीमारी से देश में इस साल एक हजार लोग मर चुके हैं तथा 18105 संक्रमित हो चुके हैं। स्वाइन फ्लू के हर मरीज को इसकी दवा लेने की आवश्यकता नहीं होती। हाई रिस्क ग्रुप के लोगों या बीमारी तीव्र होने पर इसकी जरूरत होती है। बिना डाक्टर की सलाह के यह दवा नहीं लेनी चाहिए।

यह बातें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से स्वाइन फ्लू पर शनिवार को आयोजित परिचर्चा में कही गई। चिकित्सकों ने बताया कि संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसने, छींकने से यह वायरस वातावरण में आ जाता है तथा अन्य मनुष्यों में श्वांस द्वारा फेफड़ों में प्रवेश कर जाता है। इसके अलावा यह वायरस हाथ मिलाने से अथवा संक्रमित व्यक्ति द्वारा प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं जैसे मोबाइल, रुमाल, तौलिया आदि के जरिए दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है।

इस वायरस एच1एन1 का पता 2009 में चला जब मैक्सिको व अमेरिका में इसने तबाही मचाई। यह वायरस हर साल बदलते रहते हैं, इसीलिए इसका टीका हर वर्ष बदलना पड़ता है।

यदि किसी को संक्रमण है तो उसे अन्य लोगों से अलग कमरे में रहना चाहिए तथा थ्री लेयर या एन 95 मास्क लगातार रहना चाहिए। खांसते, छींकते समय टीशू पेपर का इस्तेमाल करके टीशू पेपर को कचरे के बंद डिब्बे में फेंकना चाहिए। जो संक्रमित नहीं है उन्हें बार-बार बीस सेकेंड तक हाथ धोते रहना चाहिए। टैमी फ्लू या ओसाल्टामावीर इस मर्ज की उपलब्ध दवा है। इसका डोज चौदह साल के ऊपर के लोगों में 75 एमजी दिन में दो बार, पांच दिन तक है पर किसको यह दवा लेनी है यह चिकित्सक निर्धारित करेंगे। हर स्वाइन फ्लू को मरीज को यह दवा देने की जरूरत नहीं है। बीमारी का टीका भी उपलब्ध है पर इसका असर दो हफ्ते बाद ही आता है। यह सत्तर से पचहत्तर फीसद मामलों में ही कारगर होता है। यह हाई रिस्क मरीजों व पैरामेडिकल व मेडिकल वर्कर में आवश्यक है।

परिचर्चा में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. महेंद्र अग्रवाल, सचिव डा. वीरेंद्र गुप्ता, बीआरडी मेडिकल कालेज के एसपीएम विभाग के प्रोफेसर डा. डीके श्रीवास्तव, डा. बीबी गुप्ता, डा. नदीम अर्शद, डा. वीएन अग्रवाल, डा. कविता विश्वकर्मा तथा डा. जेपी जायसवाल आदि उपस्थित थे।

बीमारी के लक्षण

- तेज बुखार

- बुखार प्राय: पैरासीटामॉल से कम नहीं होता

- सर्दी, खांसी, नाक का बहना

- शरीर में दर्द, गले में दर्द

- मितली, थकान

- बीमारी गंभीर होने पर तेज श्वास फूलना व न्यूमोनिया जैसे लक्षण

यह है हाई रिस्क ग्रुप

-छोटे बच्चे, बुजुर्ग

- गर्भवती महिलाएं

- मधुमेह, टीबी, किडनी, कैंसर आदि के मरीजों में तीव्रता अधिक होने की संभावना


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