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विलुप्त होने के कगार पर हैं मछलियों की 110 प्रजातियां Kushinagar News

वैज्ञानिक डाॅ. अजय कुमार पांडेय के अनुसार यदि देशी मछलियों का संरक्षण नहीं किया गया तो भारत में 110 देशी मछलियों की प्रजाति विलुप्त हो जाएंगी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 02:43 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jul 2019 10:24 AM (IST)
विलुप्त होने के कगार पर हैं मछलियों की 110 प्रजातियां Kushinagar News
विलुप्त होने के कगार पर हैं मछलियों की 110 प्रजातियां Kushinagar News

कुशीनगर, जेएनएन। मछलियों का संरक्षण करने वाले राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. अजय कुमार पांडेय ने कहा कि भारत में मछली उत्पादन 12.3 मिलियन मिट्रिक टन है। इसमें ज्यादा योगदान मीठे पानी में मत्स्य उत्पाद का है। आखेट वाली मछलियां (नदी व समुंद्र) का उत्पादन या तो स्थिर है या निरंतर कम होता जा रहा है। यदि देशी मछलियों का संरक्षण नहीं किया गया तो भारत में 110 देशी मछलियों की प्रजाति विलुप्त हो जाएंगी।

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मत्स्य पालन में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर 

डाॅ. पांडेय रविवार को बुद्ध पीजी कालेज कुशीनगर के प्राणि विज्ञान विभाग में आयोजित एक व्याख्यान को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि मीठा पानी मत्स्य पालन में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर  है। पहले स्थान पर चीन है।

आधुनिक तकनीकी जरूरी

किसानों की आय दोगुना करने के लिए मत्स्य बीज के उत्पादन में आधुनिक तकनीकी का प्रयोग जरूरी है। मत्स्य उत्पादन में किसी भी प्रकार का कीटनाशक का प्रयोग वर्जित है। इसलिए अब जैविक मत्स्य पालन पर जोर दिया जा रहा है। भारत सरकार ने थाई मांगुर के पालन पर रोक लगा दिया है। क्योंकि, यह मांसाहारी प्रवृति की होती हैं जो अन्य मछलियों को खा जाती है।

व्याख्यान को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राणि विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजय सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर डाॅ. बिनोद सिंह, डाॅ. चंद्रशेखर पाठक, डाॅ. अजीत कुमार तिवारी, आमोद चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे।


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