Move to Jagran APP

स्वजनों को देखने के लिए पथरा गई आंखें, 11 माह हो गए परिवार से नहीं हो रही मुलाकात

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जेल प्रशासन की ओर से लॉकडाउन के पहले चरण तक रोक लगाई गई थी लेकिन इसे बढ़ा दिया गया और यह वक्त बढ़ता ही चला गया । जिला जेल में नौ देशों समेत भारत के कुल 969 बंदी हैं।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 09:30 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 06:20 PM (IST)
स्वजनों को देखने के लिए पथरा गई आंखें, 11 माह हो गए परिवार से नहीं हो रही मुलाकात
महराजगंज जिला जेल भवन का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण से लगे लाकडाउन के बाद से सभी की जीवनशैली बदल गई। पूरा वर्ष कोरोना और लाकडाउन के भय में बीत गया वैक्सीन आने के बाद माहौल भी बदला। लेकिन अगर कुछ नहीं बदल सका तो वह महराजगंज जिला जेल में बंद बंदियों की स्थिति है। कोरोना संक्रमण के डर से 25 मार्च 2020 के बाद से ही जिला जेल में  मुलाकाती बंद कर दी गई। वह न तो अपनों से मुलाकात कर पा रहे हैं, और न ही उनका दीदार। मुलाकाती बंद होने से बंदियों को स्वजन से फोन पर बात तो कराई जा रही है। लेकिन बंदियों की पथराई आंखें अपनों के दीदार के लिए तरस रहीं हैं।

loksabha election banner

जेल में नौ देशों समेत भारत के कुल 969 बंदी

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जेल प्रशासन की ओर से लॉकडाउन के पहले चरण तक रोक लगाई गई थी, लेकिन इसे बढ़ा दिया गया और यह वक्त बढ़ता ही चला गया । जिला जेल में नौ देशों समेत भारत के कुल 969 बंदी हैं। जिसमें 78 महिला व 891 परुष बंदी शामिल हैं। इसमें दक्षिण अफ्रीका, रूस, चीन, इजराइल, चाड, तिब्बत, यूगांडा व उज्वेकिस्तान के आठ बंदी के अलावा नेपाल के 76 बंदी विभिन्न बैरकों में निरुद्ध हैं। इसमें 21 सजायाफ्ता कैदी भी शामिल हैं। आम दिनों में सामान्य बंदियों के साथ-साथ विदेशी बंदियों से मिलने उनके स्वजन आते रहे हैं। लेकिन पिछले करीब 10 माह से न तो कोई मिलने आया और न  ही मुलाकात हो सकी।

विदेशी बंदियों की वकीलों से सिर्फ होती है बात

जिला जेल में निरुद्ध 76 नेपालियों समेत 84 विदेशी बंदियों की तो स्थिति और भी दयनीय है। इसमें इजराइल के रहने वाले पिन्हास, चाड के रहने वाले अलतमीनी, रूस के डेनियार विलदानोव, तिब्बत के तलुस, मध्य अफ्रिका के विषमार्क वकुबा, चीन के ली जीकुन, यूगोंडा के सेवविन्याबेन और उज्बेकिस्तान की महिला बंदी दिलफिरोज विचाराधीन बंदी के रूप में बंद है। इन पर मादक पदार्थ की तस्करी, बिना पासपोर्ट भारत में आने व धोखाधड़ी का आरोप है। इस कोरोना संक्रमण के डर से बंद हुई मुलाकाती में वह अपने स्वजन से फोन पर भी बात नहीं कर पा रहे हैं। जेल प्रशासन उनकी आइएसडी काल के खर्च उठाने में असफल है। ऐसे में उनकों मात्र उनके वकीलों से बात कराई जाती है। जिला जेल में बंद अन्य देशों के आठ व 76 नेपाली बंदी भी स्वजनों से मुलाकात व बात न होने से परेशान हैं। जेलर अरविंद श्रीवास्‍तव का कहना है कि जिला जेल में सभी बंदियों की बेहतर देखभाल व पारिवारिक माहौल तैयार करने में जेल प्रशासन जुटा हुआ है। स्वजन से मुलाकात के अभाव में कोई बंदी कोई गलत कदम न उठाए इस बात का पूरा ध्यान दिया जाता है। वहीं जेल अधीक्षक अविनाश कुमार का कहना है कि जिला जेल में अभी बंदियों से मुलाकाती शुरू करने का कोई आदेश नहीं मिला है। जैसे ही मुलाकाती शुरू करने के आदेश मिलेंगे कैदियों से मुलाकाती शुरू करा दी जाएगी। बंदियों की बेहतर देखरेख के लिए निर्देश दिए गए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.