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चुनावी चौपाल: सियासत के शोर में दब गई गन्ना किसानों की समस्या

समय से गन्ने की बिक्री न होना और भुगतान की समस्या कसैला कर रही गन्ने की मिठास।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 06:34 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 06:34 PM (IST)
चुनावी चौपाल: सियासत के शोर में दब गई गन्ना किसानों की समस्या
चुनावी चौपाल: सियासत के शोर में दब गई गन्ना किसानों की समस्या

गोंडा, जेएनएन। जिले के 1.14 लाख किसान 95 हजार हेक्टेयर में गन्ने की खेती करते हैं। गोंडा लोकसभा क्षेत्र में कुंदुरुखी, दतौली व बभनान। कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में मैजापुर, जरवलरोड, परसेंडी चीनी मिलें स्थापित हैं, इनमें मैजापुर चीनी मिल गोंडा जिले में है जबकि अन्य दो बहराइच जिले में हैं। पेराई सत्र 2018-19 में 331.82 लाख क्विंटल गन्ने की खरीद चीनी मिलें कर चुकी हैं। गन्ने मूल्य के रूप में 837.05 करोड़ रुपये के सापेक्ष 455.22 करोड़ का भुगतान हो चुका है। पखवारेभर पूर्व तक किसानों के गन्ना मूल्य के रूप में 307.33 करोड़ रुपये की बकायेदारी है।

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कृषि विभाग की तरफ से किसानों को अनुदान पर बीज, दवा व कृषि यंत्र का वितरण किया जाता है। इससे इतर गन्ना किसानों की समस्या सिर्फ सियासत में शोर तक सीमित है। इसको लेकर ठोस पहल का अभाव है। नतीजतन गन्ना किसानों को बोआई से लेकर बिक्री व भुगतान तक संकट का सामना करना पड़ रहा है। किसानों के इसी मुद्दे को लेकिन दैनिक जागरण द्वारा जिले के कटरा कुटी धाम परिसर में चौपाल का आयोजन किया गया जिसमें किसानों ने अपना दर्द बयां किया। 

किसान बालकराम ने कहाकि गन्ना खरीद के लिए सरकार ने चीनी मिलों को निर्देश दे रखा है लेकिन समय से खरीद नहीं हो पा रही। ऐसे में हम लोगों को कम दाम पर गन्ना बेचना को विवश होना पड़ रहा है। इतना ही नहीं मिलें रिजेक्ट प्रजाति का गन्ना नहीं खरीद रहीं, इस कारण वह खेतों में खड़ा है। ऐसा तब है जब हम लोगों ने मिल से ही बीज लेकर बोया था।

इंद्रपाल बोले कि गन्ने की बोआई के लिए खाद-बीज की उपलब्धता सरकार कराए। साथ ही गन्ना खरीद व भुगतान समय से हो जिससे किसान को नकदी फसल का लाभ मिल सके। सुभाष यादव ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों का ध्यान नहीं दे रही। आय दोगुनी करने का वादा तो किया गया था लेकिन गन्ने की बाेआई के बाद न तो समय से पर्ची मिलती और न ही भुगतान होता है। ऐसे में किसान परेशान हो रहे हैं। रिजेक्ट प्रजाति का गन्ना होने के नाम पर किसानों का उत्पीड़न चीनी मिलें कर रही हैं लेकिन सरकार उनपर शिकंजा नहीं कस पा रही है। अरुण कुमार सिंह, विनोद कुमार कमलापुरी ने कहाकि सरकार किसानों का ख्याल रख रही है लेकिन चीनी मिलों की मनमानी से दिक्कत आ रही है।

पप्पू पाठक बोले कि इस सरकार में गन्ना बिचौलियों के हाथ नहीं बेचना पड़ रहा, पूरा दाम मिल रहा है। हालांकि समय से पर्ची मिलने और भुगतान की दिशा में और प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत है। सुरेश कुमार पांडेय, बुद्धूलाल यादव, बृजेश यादव बोले कि हमने जो गन्ना बेचा था उसका जनवरी तक भुगतान प्राप्त हो गया है। जल्द बाकी भुगतान हो जाए तो बढ़िया होगा।

कटरा कुटीधाम के महंत स्वामी चिन्मयानंद ने सरकार किसानों पर ध्यान दे रही है। सरकार भुगतान के लिए भी समय से प्रयासरत है लेकिन मिल मालिकों की वजह से थोड़ी परेशानी है। सरकार, किसान और मिल मालिकों में सामंजस्य और बेहतर होने की जरूरत है। किशोर, मदई यादव व श्याम मोदनवाल ने कहाकि खाद, पानी और बीच की व्यवस्था सरकार अनुदान पर कराए तो किसानों को और मदद मिल सकेगी।

बाढ़ का संकट

जिले में सरयू व घाघरा नदी में हर साल बाढ़ आती है। इसके कारण गन्ने की फसल काफी हद तक प्रभावित होती है। गन्ना किसानों ने बाढ़ की तबाही से बचाने के लिए कर्नलगंज से कटरा तक पक्का बांध बनाए जाने की मांग की है। इनका कहना है कि बांध बन जाने से गन्ने की फसल पूरी तरह सुरक्षित हो सकेगी और किसान खुशहाल हो जाएगा। 

नीलगाय व बेसहारा पशु बने ग्रहण

गन्ना किसानों का कहना है कि नीलगाय और बेसहारा मवेशी गन्ने की फसल पर ग्रहण बने हैं। जैसे ही फसल उगने लगती है, ये पशु उसे चरने के साथ ही नष्ट भी कर देते हैं। फसल की सुरक्षा के लिए बाड़ या बैरीकेडिंग करने में काफी खर्च आता है जिससे आर्थिक चोट पहुंच रही है।


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