संरक्षण का नारा, गोवंश बेसहारा
जिले में बेसहारा मवेशियों से फसलों को बचाने के साथ-साथ उन्हें दाना-भूसा के साथ ही उनकी देखभाल के लिए गो
गोंडा : खेतों में खड़ी फसलों को तबाह करने वाले बेसहारा पशुओं की समस्या से निजात की उम्मीद फिलहाल यहां नजर नहीं आ रही। कारण करोड़ों रुपये खर्च कर गो आश्रय केंद्र तो बना दिए गए लेकिन, उनके सुचारु संचालन के उपाय नहीं हैं। कहीं अधूरा निर्माण तो, कहीं चारा-पानी का संकट है। ऐसे में बेसहारा गोवंशों का झुंड खेतों व सड़कों पर ही नजर आ रहा है। यह हाल तब है जबकि गत दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महराजगंज जिले के अधिकारियों पर कार्रवाई का कोड़ा चला चुके हैं।
इटियाथोक : ग्राम संझवल के तिवारी पुरवा में गो आश्रय केंद्र का निर्माण अपूर्ण है। निर्माण के लिए 55 लाख से अधिक की रकम मिली। अधूरा रहने के दौरान ही लोकार्पण हो चुका। गांव के प्रभुनाथ तिवारी, गिरधारी लाल, अरुण तिवारी ने बताया कि जिम्मेदार लापरवाही बरत रहे हैं।
परसपुर : क्षेत्र के कड़रू पूरे तिवारी गांव में बने गो आश्रय केंद्र में करीब 70 बेसहारा पशु हैं। इसमें से कई बीमार हैं। कंटीले तार से बैरीकेडिग करके इन्हें रोकने की जुगत की गई है। भूसा खत्म हो चुका है। इसकी देखभाल करने वाले बलराम ने बताया राघवेंद्र व राकेश भूसा की तलाश में गए हैं।
कटराबाजार : गो आश्रय केंद्र गंडाही में कुल 42 पशु हैं। सचिव सुभाष पांडेय ने बताया कि यहां भूसा, चोकर व पशु आहार उपलब्ध है। 30 रुपया प्रति गाय प्रति दिन के हिसाब से धनराशि मिलती है। यहां कर्मचारी नहीं हैं।
रगड़गंज : बदलेपुर में बने गो आश्रय केंद्र में 162 मवेशी हैं। यहां पशुओं के लिए चारा भी उगाया जाता है। प्रधान रामकृपाल सिंह ने बताया कि केंद्र निर्माण होने के बाद छायादार पौधों का रोपण किया गया है।
वजीरगंज : मझारा गो आश्रय में 170 पशु हैं। चिकित्सकों की टीम टैगिग व टीकाकारण कर रही है। मनरेगा से तीन मजदूर पशुओं की देखरेख करने के लिए हैं।
बभनजोत : गो आश्रय केंद्र सब्बनजोत सिगार घाट साढ़े बारह बीघे में बन रहा है। स्थिति खराब है। यहां कोई भी जानवर नहीं है।
मसकनवा : तेंदुआ में गो आश्रय केंद्र निर्माणाधीन है। 30 गोवंश हैं। गेट बन रहा है। सचिव विजय सिंह गौतम ने बताया कि शीघ्र ही केंद्र का लोकार्पण होगा।
धानेपुर : गो आश्रय केंद्र रुद्रगढ़नौसी में 145 मवेशी हैं। भूसा का स्टॉक है। हालांकि निर्माण अधूरा है। बैरीकेडिग नहीं हुई है। जानवर बाहर निकल जाते हैं। डेढ़ करोड़ से इसका निर्माण कराया गया है।