पंचायत पुनर्गठन से नए दावेदारों में जगी प्रधान बनने की उम्मीदें
पंचायतीराज विभाग में हलचल तेज सोमवार से जमा किए जाएंगे प्रस्ताव
गोंडा : ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन आदेश ने नए दावेदारों में प्रधान बनने की उम्मीदें जगा दी हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार एक हजार या उससे अधिक आबादी वाले राजस्व गांवों को पंचायत का दर्जा दिया जाएगा। शनिवार को विकास भवन स्थित पंचायतीराज विभाग में चहल-पहल दिखी। पंचायतों के पुनर्गठन को लेकर प्रस्ताव/ प्रार्थना पत्र सोमवार से ब्लॉक व जिला मुख्यालय पर जमा किए जाएंगे। डीएम डॉ. नितिन बंसल की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। इनसेट
क्या है समय सारिणी
- ग्राम पंचायत पुनर्गठन के संबंध में प्रार्थना पत्र/प्रस्ताव प्राप्त करने की तिथि नौ से 20 नवंबर, ग्राम पंचायत पुनगर्ठन/परिसीमन के संबंध में जनपद स्तर पर तैयार प्रस्ताव का अंतिम प्रकाशन की कार्यवाही 21 से 25 नवंबर, अंतिम प्रकाशन के बाद आपत्ति प्राप्त करने की अंतिम तिथि दो दिसंबर, प्राप्त आवेदन पत्रों का परीक्षण के बाद संस्तुति की अंतिम तिथि छह दिसंबर निर्धारित की गई है।
ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन से जुड़े खास बिदु
- ग्राम पंचायत के क्षेत्र में परिवर्तन का प्रस्ताव संबंधित ग्राम पंचायत या उस ग्राम पंचायत के 50 या उससे अधिक निवासियों द्वारा निर्धारित अवधि में प्रस्तुत किया जाएगा। ग्राम पंचायत क्षेत्र का गठन का वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर होगा। किसी पंचायत क्षेत्र के निर्धारण के लिए किसी राजस्व ग्राम या मजरे को विभाजित नहीं किया जाएगा। किसी ग्राम पंचायत के प्रादेशिक क्षेत्र में सिर्फ ऐसे राजस्व ग्राम को सम्मिलित किया जाएगा जो भौगोलिक ²ष्टि से एक-दूसरे के निकट हों। राजस्व ग्राम को किसी पंचायत क्षेत्र में सम्मिलित करने में यह भी ध्यान रखा जाएगा कि इनके मध्य की दूरी में ग्राम पंचायत का कोई प्रादेशिक क्षेत्र न पड़े। ग्राम पंचायत में सम्मिलित किए जाने वाले राजस्व ग्रामों के बीच में कोई नदी, नाला, पहाड़ या कोई प्राकृतिक अवरोध आवागमन में बाधक न हो। एक से अधिक राजस्व ग्रामों से मिलाकर बनाई जाने वाली ग्राम सभा का नाम सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले ग्राम के नाम से होगा। बढ़ सकती हैं 178 ग्राम पंचायतें
- पंचायतों के पुनर्गठन के बाद जिले में 178 नई ग्राम पंचायतें बन सकती हैं। इन पंचायतों के गठन की कार्यवाही गत चुनाव में स्थगित कर दी गई थी। तरबगंज विधायक प्रेमनरायन पांडेय ने पंचायतों के पुनर्गठन की मांग उठाई थी।