सेवा प्रदाता कंपनी के आगे बेबस हो गए अफसर
गोंडा : स्वच्छता अभियान में काम सुबह से लेकर रात तक, लेकिन मानदेय ढाई माह बाद भी नहीं। अ
गोंडा : स्वच्छता अभियान में काम सुबह से लेकर रात तक, लेकिन मानदेय ढाई माह बाद भी नहीं। अब जरा सोचिए, जिस कर्मी के ऊपर परिवार के साथ ही अन्य जिम्मेदारियां हो, वह भला इतने दिनों तक बिना पैसे के काम कैसे कर सकता है लेकिन ये सब अफसरों की जानकारी में हो रहा है। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत कार्यों के लिए जिले से लेकर ब्लॉक स्तर तक सेवा प्रदाता कंपनी के जरिए कर्मियों की तैनाती की गई है। जिले स्तर पर जिला कंसलटेंट, कंप्यूटर ऑपरेटर व लेखाकार तो ब्लॉक स्तर पर खंड प्रेरक व कंप्यूटर ऑपरेटर तैनात हैं। विकासखंड झंझरी, पंडरीकृपाल, रुपईडीह, मुजेहना, इटियाथोक, कर्नलगंज, परसपुर, कटराबाजार, हलधरमऊ, तरबगंज, बेलसर, वजीरगंज, नवाबगंज, मनकापुर, छपिया व बभनजोत में 56 कर्मियों की तैनाती है। प्रत्येक माह मानदेय के रूप में करीब सात लाख रुपये का भुगतान किया जाता है। विभाग हर माह तय मानदेय भुगतान के लिए आरटीजीएस के जरिए संबंधित सेवा प्रदाता कंपनी को भेज देता है, इसके बाद भुगतान कर्मियों को मिलता है। बीते मई माह से कर्मियों को मानदेय नहीं मिल सका है, जबकि जुलाई माह भी अंतिम चरण में चल रहा है। अफसरों की मानें तो मई माह का मानदेय भुगतान के लिए बीते पांच जुलाई को ही पैसा कंपनी को दे दिया गया, लेकिन इसके बाद भी कर्मी एक-एक पैसे के लिए तरस रहे हैं।
कर्मियों में रोष, फूट सकता है गुस्सा
-स्वच्छता अभियान के तहत तैनात कर्मियों में मानदेय न मिलने से रोष है। हाल ही में सुबह नौ बजे से सायं आठ बजे तक दफ्तर खोलने के फरमान जारी किए गए हैं। जबकि मौखिक रूप से सुबह सात बजे फील्ड में निकलने की बात कही जा रही है। बाइक में पेट्रोल डलवाने के लिए कर्मियों को पैसा उधार लेना पड़ता है। जिससे कर्मियों में रोष बढ़ता जा रहा है।
मई माह का मानदेय भुगतान करने के लिए सेवा प्रदाता कंपनी को पैसा बीते पांच जुलाई को भेजा जा चुका है। जबकि जून का पैसा भी स्वीकृत हो चुका है। संबंधित संस्था ने कई बार वार्ता करने के बावजूद अभी तक भुगतान नहीं किया है। सोमवार को फिर बात करके भुगतान के लिए कहा जाएगा।
-घनश्याम सागर, डीपीआरओ गोंडा।