बुंदेलखंड के सूखे खेतों की प्यास बुझाएगा मोबाइल स्प्रिंकलर
ईंधन की बचत भूगर्भ जल दोहन कम करने के साथ ही जल संरक्षण में मोबाइल स्प्रिंकलर मददगार है।
वरुण यादव, गोंडा। अनुपयोगी सामान का सदुपयोग कर एक साधारण वेल्डर ने किफायती मोबाइल स्प्रिंलकर बना डाला। बांदा, उप्र के रामसजीवन के इस नवोन्मेष को प्रशासन ने हाथोंहाथ लिया। ऐसे 100 मोबाइल स्प्रिंकलर लगाने की तैयारी है। जी हां, हुनर को जज्बे का साथ मिले तो न सिर्फ प्रयास सफल होते हैं, बल्कि स्वीकृति के साथ समाज की सराहना भी मिलती है। मुफलिसी के थपेड़ों ने रामसजीवन को एक मकसद दिया। प्रयास करते रहे और अंतत: कामयाबी नसीब हुई। खेतों की सिंचाई के लिए उन्होंने बहुत ही कम लागत से तैयार होने वाला मोबाइल स्प्रिंकलर बनाया।
हाल ही में बुंदेलखंड के बांदा में हुए इनोवेटर्स समिट में जब इस मॉडल को प्रदर्शित किया गया तो यह खूब सराहा गया। बांदा प्रशासन ने न सिर्फ रामसजीवन को सम्मानित किया, बल्कि जिले की सूखी धरती की प्यास बुझाने के लिए उद्यान विभाग के माध्यम से 100 मोबाइल स्प्रिंकलर लगाने को कहा है। इस समय वह बुंदेलखंड के लिए स्प्रिंकलर तैयार करने में जुटे हुए हैं।
गरीबी ने निखारी प्रतिभा
बभनजोत के पिपरा अदाई गांव में रहने वाले रामसजीवन बताते हैं, 20 वर्ष पहले पिता का साया सिर से उठ गया। पांच बहन व तीन भाइयों के परिवार में वह ही सबसे बड़े थे, लिहाजा परिवार की जिम्मेदारियां उनके कांधों पर आईं। आजीविका चलाने के लिए गौराचौकी कस्बे में वेल्डिंग की दुकान पर नौकरी कर ली। 2012 में डीजल पंपसेट से सिंचाई के दौरान बोरिंग से तेज रफ्तार से निकलने वाले पानी को देखकर मन में वर्षा की तरह से फसलों की सिंचाई का यंत्र तैयार करने का विचार आया। यहीं से नए आविष्कार का बीज अंकुरित होने लगा। दुकान पर रखे अनुपयोगी सामानों का प्रयोग कर सिंचाई यंत्र तैयार करने में जुट गए। अप्रैल 2013 में मोबाइल स्प्रिंकलर नामक यंत्र तैयार कर लिया। इसे तैयार करने में करीब आठ हजार रुपये का खर्च आया।
क्या है फायदा
ईंधन की बचत, भूगर्भ जल दोहन कम करने के साथ ही जल संरक्षण में मोबाइल स्प्रिंकलर मददगार है। वर्षा की तरह पानी ऊपर से फसलों पर गिरता है, इससे पानी की बूंदें जड़ों तक आसानी से पहुंच जाती हैं। कम पानी में अधिक क्षेत्रफल में लगी फसलों की सिंचाई की जा सकती है।
ठुकरा दिया था प्रस्ताव
सबसे पहले 30 अप्रैल 2013 को विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद लखनऊ में आयोजित नव प्रवर्तन प्रदर्शनी में रामसजीवन की प्रतिभा सराही गई। 10 मई 2013 को डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में सफल परीक्षण के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सराहना की थी। जून 2014 में मध्य प्रदेश के भोपाल में नव प्रदर्शनी लगाई थी। वहां की सरकार ने रामसजीवन से यह कहा कि यहां आकर काम कीजिए तो सहायता मिलेगी, लेकिन उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था। उनका कहना है, मेरी मंशा है कि मॉडल का देश के प्रत्येक किसान को मिले, लेकिन मॉडल उत्तर प्रदेश के नाम से ही जाना जाए। इसलिए मध्य प्रदेश नहीं गया।
बांदा के डीएम ने नव प्रवर्तन के लिए रामसजीवन को बधाई देने के साथ ही उद्यान विभाग के माध्यम से बांदा में 100 मोबाइल स्प्रिंलकर लगाने के लिए कहा है। जल्द ही परिषद के माध्यम से कार्यवाही बढ़ाई जाएगी।
-संदीप द्विवेदी, नव प्रवर्तन अधिकारी
विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद