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उपेक्षा का दंश झेल रही योग का ज्ञान देने वाले महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली

दुनिया को योग का ज्ञान देने वाले महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली गुमनामी के अंधेरे में है। दुख की बात यह है कि यह रामनगरी अयोध्या से यह महज 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 12:31 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 12:31 PM (IST)
उपेक्षा का दंश झेल रही योग का ज्ञान देने वाले महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली
उपेक्षा का दंश झेल रही योग का ज्ञान देने वाले महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली

गोंडा [नंदलाल तिवारी]। 21 जून यानि गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पूरा विश्व योग करेगा। दुनिया को योग का ज्ञान देने वाले महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली गुमनामी के अंधेरे में है। दुख की बात यह है कि यह रामनगरी अयोध्या से यह महज 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थल के विकास के लिए अब तक कोई सार्थक पहल नहीं की गई। यहां पर अंतरराष्ट्रीय योग विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग भी फाइलों में कैद है।

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गोंडा के वजीरगंज विकासखंड क्षेत्र के कोंडर गांव स्थित महर्षि पतंजलि का आश्रम है। महर्षि की पहचान सिर्फ एक चबूतरे के रूप में है। यहां देवस्थान के नाम से एक एकड़ जमीन दर्ज है। बगल से होकर निकलने वाली कोडऱ झील करीब नौ किलोमीटर में फैली हुई है। बावजूद आश्रम पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। न तो यहां पर पर्यटकों के लिए कोई इंतजाम है, न ही कोई ऐसा प्रबंध है, जिससे आने जाने वाले लोगों को महर्षि पतंजलि के बारे में जानकारी हो सके। कोंडर को जाने वाला रास्ता जर्जर है। इसी रास्ते से होकर यहां पर लोग आते जाते हैं।

एक नजर महर्षि पतंजलि पर

लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मंशाराम वर्मा के मुताबिक, महर्षि पतंजलि द्वापर और कलि के संध्याकाल में अवतरित हुए। पतंजलि शेष के अवतार थे। ऐतिहासिक साक्ष्य के आधार पर पतंजलि पर्दे के अंदर शिष्यों को ज्ञानोपदेश देते थे। नवें दिन बिना अनुमति के शिष्यों ने पर्दा उठाकर कोने से झांका तो सर्पाकार पतंजलि दृश्य हो गए। वह पवित्र स्थल कोंडर आश्रम है। महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र की रचना के अतिरिक्त महाभाष्य की रचना की है।

लगती हैं योग की कक्षाएं

ग्रामीणों को योग के प्रति आकर्षित करने में लगे योग शिक्षक रविशंकर दुबे बताते हैं कि यहां योग का कार्यक्रम होता रहता है। इसमें गांव व आसपास के लोगों की सहभागिता होती है। साथ ही अन्य धार्मिक आयोजन होते रहते हैं।

'महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली पतंजलि उपेक्षा का शिकार है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को पत्र लिखकर पतंजलि के जन्मस्थान कोंडर को हेरिटेज साइट घोषित करने की मांग कर चुके हैं। साथ ही प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय संस्कृति मंत्री व प्रदेश के पर्यटन मंत्री को भी पत्र लिखा जा चुका है। अंतरराष्ट्रीय योग विश्वविद्यालय के लिए भी लिखापढ़ी चल रही है।

- डॉ. स्वामी भगवदाचार्य, अध्यक्ष, पतंजलि जन्मभूमि न्यास सनातन धर्म परिषद

'महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली का विकास किया जाएगा। वहां पर पर्यटन विभाग व अन्य संबंधित विभागों के सहयोग से मिलकर आवश्यक प्रबंध किया जाएगा। जिला स्तरीय अधिकारियों से इसके बारे में जानकारी की जाएगी।

- सुधेश कुमार ओझा, आयुक्त देवीपाटन मंडल


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