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वाराह अवतार स्थलः सरयू-घाघरा के संगम पर कल्पवास मेले की तैयारियां

भगवान वाराह के अवतार स्थल सूकरखेत पसका में सरयू-घाघरा नदियों के संगम पर कल्पवास की तैयारियां जोरों पर हैं। पौष पूर्णिमा पर यहां विशाल मेला लगता है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 26 Dec 2017 06:25 PM (IST)Updated: Tue, 26 Dec 2017 06:48 PM (IST)
वाराह अवतार स्थलः सरयू-घाघरा के संगम पर कल्पवास मेले की तैयारियां
वाराह अवतार स्थलः सरयू-घाघरा के संगम पर कल्पवास मेले की तैयारियां

गोंडा (जेएनएन)। भगवान वाराह के अवतार स्थल सूकरखेत पसका में सरयू-घाघरा नदियों के संगम पर कल्पवास की तैयारियां जोरों पर हैं। पौष पूर्णिमा पर यहां विशाल मेला लगता है। मेला तिथि नजदीक देख कल्पवासियों की आमद तेज हो गई है। दूरदराज से मेला परिसर में दुकानदार आने शुरू हो गए हैं। इसके चलते यहां मेला क्षेत्र में रौनक बढ़ गयी है। मेले में प्रदेश के कई जिलों से होटल, सर्कस, झूला और अन्य मनोरंजन के साधन आते हैं जिसमें क्षेत्र के मेलार्थी जमकर लुफ्त उठाते हैं। इस बार पौष पूर्णिमा दो जनवरी को है।स्नान-दान पुण्य के पर्व पर कल्पवासियों की कुटियों से संगम क्षेत्र का पूरा इलाका अब लघु प्रयाग सा नजर आता है। मेला में लोगों की आवक देख प्रशासन ने चौकसी बढ़ा दी है। इस मेले में करीब पांच लाख श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है। 

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ऐतिहासिकता की गवाही

रामचरित मानस रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने अपने गुरु नरहरिदास से इसी पुण्य भूमि में दीक्षा ली थी। गुरु के आश्रम में आज भी हस्तलिखित रामायण के पन्ने इस स्थल की ऐतिहासिकता की गवाही देते हैं। इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने वाराह का रूप धारण कर पृथ्वी को पाप से मुक्त कराया था। इसलिए इस तपोस्थली को सूकरखेत या वाराह क्षेत्र कहा जाता है। पवित्र सरयू नदी के संगम तट त्रिमुहानी घाट पर बड़ी संख्या में नागा, साधु-संतों तथा गृहस्थों ने फूस की कुटिया डाल कर कल्पवास, तपस्या में लीन होकर अपना नाता परब्रह्म परमात्मा से जोड़ रखा है। लोग इस स्थल को पूर्वांचल का प्रयाग कहते हैं।

सूकरखेत पसका में मेला

सूकरखेत पसका में मेला काफी लंबे क्षेत्र में लगता है। इसे कई खंडों में बांटा जाता है। वाराह भगवान मंदिर, स्नान घाट और कल्पवास स्थल को पुराने मेला व मनोरंजन के साधन लगने वाले क्षेत्र को नया मेला के नाम से जाना जाता है। बहराइच के होटल व्यवसायी ने बताया कि उनकी दुकान दो दशक से अधिक समय से यहां आ रही है। कानपुर के हरिशंकर कटियार ने कहा कि वह 41 वर्षों से फोटो की दुकान यहां लेकर आ रहे हैं। सूकरखेत पसका में दो जनवरी को होने वाले मुख्य स्नान पर्व को लेकर संगम मेला की तैयारी जोरों पर हैं।सफाई को आगे आए समाजसेवी कल्पवास स्थल की सफाई न होने से क्षेत्र के समाजसेवियों ने घाट की सफाई का बीड़ा उठाया। यही नहीं, नदी का शैवाल भी वह साफ करा रहे हैं। नया मेला के व्यवस्थापक राजाबाबू सिंह ने कहा कि मेले में दूर दराज से आने वाले दुकानदारों का पूरा सहयोग किया जा रहा है।


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