महकमे को पता नहीं, कहां गूंजी 55533 किलकारी
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नंदलाल तिवारी, गोंडा: कोरोना काल से जुड़ी यह खबर स्वास्थ्य विभाग का सच बयां करने के लिए काफी है। पहली अप्रैल 2020 से मई 2021 के मध्य जिले में 55533 किलकारी कहां गूंजी, इसका पता ही नहीं है। यह प्रसव घर पर कराए गए या फिर किसी निजी अस्पताल में। यह हाल तब है जब स्वास्थ्य विभाग की टीम हरेक गर्भवती की सेहत की निगरानी करने का दावा कर रही है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो पहली अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2020 के बीच जिला महिला अस्पताल समेत अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कुल एक लाख 16 हजार 126 गर्भवती का पंजीकरण जांच के लिए हुआ। इसमें से महज 68 हजार 889 का ही प्रसव सरकारी अस्पतालों में हुआ। 47 हजार 237 का प्रसव कहां पर हुआ, कुछ पता नहीं। अप्रैल व मई 2021 में कुल 15 हजार 750 पंजीकरण के सापेक्ष सिर्फ 7454 का ही संस्थागत प्रसव कराया गया। शेष बचे 8296 प्रसव के बारे में अफसर चुप हैं। फिलहाल, शासन स्तर पर हुई पड़ताल के बाद अब यह खोजा जा रहा है कि इन महिलाओं का प्रसव कहां पर हुआ है।
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फेल हो रहा तंत्र
- जिले में तीन हजार से अधिक आशा कार्यकर्ता तैनात हैं। इन्हें गर्भवती के पंजीकरण के साथ ही उनके संस्थागत प्रसव की जिम्मेदारी दी गई है। बावजूद इसके तस्वीर जुदा नजर आ रही है।
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कहीं यह वजह तो नहीं
- एक तो कोरोना का संकट, दूसरा इलाज में हो रही लापरवाही के कारण महिलाओं ने प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों से तो दूरी नहीं बना ली। दरअसल, महिला अस्पताल में प्रसव के नाम पर वसूली, बाहर की जांच, समय से चिकित्सकों के न मिलने की शिकायतें आम हैं। सीएचसी पर स्थिति तो और भी खराब है।
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जिम्मेदार के बोल
- मामला संज्ञान में है। सभी अधीक्षकों को स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है। इसके बाद ही यह पता चल सकेगा कि यह प्रसव कहां हुए हैं।
- डॉ. आरएस केसरी, सीएमओ गोंडा