दो-तीन दिन में छट सकती है धुंध
बाहर कम जाएं दौड़ना या साइकिल चलाना टहलना आदि कम करें। - गैस चालित इंजन कीटनाशकों और तेल आधारित पेंट का उपयोग करने से बचें। - भरपूर मात्रा मे पानी पिएं। - ड्राइविग कम करें।
गोंडा : वातावरण में करीब पखवारे भर से धुंध है। किसी दिन ज्यादा तो, कभी कम। इसके कारण लोगों को शुद्ध ऑक्सीजन मिलना मुश्किल हो रहा है। सांस के मरीजों का संकट बढ़ गया है। आवागमन में भी परेशानी हो रही। गत दिनों बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफान बुलबुल ने एक बार फिर इस धुंध को बल दे दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बचाव के लिए सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है।
लाल बहादुर शास्त्री कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक डॉ. उपेंद्रनाथ सिंह कहते हैं कि वर्तमान में धुंध प्रदूषण की वजह से नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल में आए बुलबुल चक्रवात का असर है। उन्होंने बताया अगले तीन-चार दिनों तक ऐसी स्थिति बनी रह सकती है। इसके बाद मौसम साफ हो जाएगा। फिलहाल, बारिश की कोई संभावना नही है। मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि लोग ठंड का असर नहीं मान रहे हैं लेकिन, यदि थोड़ी सी चूक हुई तो सेहत खराब हो सकती है। सुबह-शाम ठंड के साथ ही मौसम में बदलाव का दौर लगातार जारी है। ऐसे में घर से बाहर निकलते वक्त गर्म कपड़े जरूरी पहने। मास्क लगाकर भी इससे काफी हद तक बचाव किया जा सकता है। -------------क्या होता है स्मॉग (धुआंसा)
स्मॉग (धुआंसा) दो शब्दों अर्थात धुंए (स्मोक) और कोहरे (फॉग) से मिलकर बना है, जिसे फॉग या धुंध में धुंए या कालिख कणों के मिले होने से भी जाना जाता है। मुख्य रूप से नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर आक्साइड और कुछ अन्य कार्बनिक यौगिक होते हैं जो कि सूर्य के प्रकाश के साथ गठबंधन कर ओजोन का निर्माण करते हैं। एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्वास्थ्य पर प्रभाव अच्छा (0-50)
कुछ प्रदूषण नहीं संतोषजनक (51-100) संवेदनशील लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. थोड़ा प्रदूषित(101-200)
फेफड़े की बीमारी जैसे अस्थमा, और हृदय रोग, बच्चों और बड़े वयस्कों के साथ लोगों को असुविधा के कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. खराब (201-300)
लम्बे समय तक ऐसा रहने पर लोगों को सांस लेने में तकलीफ और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को बहुत असुविधा हो सकती है। गोंडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स- 158 यह पड़ता दुष्प्रभाव 1- अस्थमा के लक्षण बदतर हो जाते हैं। 2-हृदय की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। 3-- प्राकृतिक तत्व विटामिन डी का उत्पादन कम होता है, जो लोगों के बीच रिकेट्स बीमारी को बढ़ावा देता है। 4- छाती में जलन, खांसी, कैंसर या संक्रमण और निमोनिया का होना । 5- श्वांस लेने में दर्द, आंखों में जलन और फेफड़ों के कैंसर जैसे कई रोगों में वृद्धि । ऐसे बचें: - बाहर कम जाएं, दौड़ना या साइकिल चलाना, टहलना आदि कम करें। - गैस चालित इंजन, कीटनाशकों, और तेल आधारित पेंट का उपयोग करने से बचें। - भरपूर मात्रा मे पानी पिएं।
- ड्राइविग कम करें।