लापरवाही में फंस गया स्वच्छता अभियान
डीपीआरओ घनश्याम सागर का कहना है कि पैसा क्यों नहीं गया, इसकी जानकारी की जा रही है। करकरकररकररक करररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररररर
गोंडा : खुले में शौच मुक्त गांव में स्वच्छता अभियान लापरवाही में फंस गया है। यहां ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए धनराशि एक वर्ष बाद भी नहीं मिल सकी है। इससे गांव में सोकपिट का निर्माण नहीं हो पा रहा है। नीर निर्मल परियोजना के तहत खुले में शौच मुक्त ग्रामों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए धनराशि देने की व्यवस्था है। पंचायतीराज विभाग ने तरबगंज ब्लॉक की ग्राम पंचायत खानपुर व परसपुर की ग्राम पंचायत मिझौरा का चयन किया गया था। प्रत्येक गांव में 12-12 लाख रुपये खर्च किए जाने थे। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत पंचायतों को पहली किश्त के रूप में तीन-तीन लाख रुपये वित्तीय वर्ष 2017-18 में दिए गए थे। पंचायतों ने डस्टविन वितरण के साथ ही कूड़ा गाड़ी व उपकरण क्रय किए थे। इसके बाद दूसरी किश्त की धनराशि एक साल बीतने के बावजूद नहीं मिल सकी। ग्राम प्रधान मिझौरा विपिन कुमार उर्फ ¨पकू ¨सह का कहना है कि दूसरी किश्त की मांग की गई थी, लेकिन पैसा नहीं मिला। इससे गांव में जलनिकासी के लिए सोकपिट का निर्माण नहीं हो सका है। डीपीआरओ घनश्याम सागर का कहना है कि पैसा क्यों नहीं गया, इसकी जानकारी की जा रही है।