हमार कहवा नाइ मानत हैं साहब तव का करि
गोंडा : हमार कहवा नाइ मानत हैं साहब। छोट भाई के कहे मा परे हैं। तव हम का करि। नौ
गोंडा : हमार कहवा नाइ मानत हैं साहब। छोट भाई के कहे मा परे हैं। तव हम का करि। नौकरानी जस काम करव ओहके ऊपर घर मा आवय तौ अकड़े रहय। इ झूठ बोलति ही साहब। ये संवाद परिवार परामर्श केंद्र का है। जहां सुलह के लिए आए दंपती एक दूसरे की उलाहना कर रहे थे। अविश्वास व शक की आंधी हंसते-खेलते परिवार के दांपत्य जीवन की नींव दरका रही है।
रविवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर परिवार परामर्श केंद्र में 82 मामलों की सुनवाई लगी। जिसमें पांच जोड़े साथ रहने को राजी हुए तो एक मामले में रिपोर्ट दर्ज हुई। ज्यादातर में केवल आपसी संवादहीनता व अविश्वास हो जाता है। कोई पति पर कहना न मानने का आरोप मढ़ रहा था तो कोई पत्नी के फोन पर बात करने को शक की नजर से देख रहा था। जिससे बात बिगड़ गई। घर के लोग भी अपने-अपने के फैसले साथ हो जाते हैं। जिससे मामला घर में नहीं सुलझता है।
इनकी सुनिए- परिवार परामर्श केंद्र पर आने वाले मामलों में संधि कराने वाली संतोष ओझा कहती हैं कि अविश्वास परिवार को खा रहा है। शशि भारती कहते हैं कि तकनीक शक पैदा कर रही है। मोबाइल पर बात करने में मतभेद हो जा रहा है और परिवार टूट रहे हैं। गंगाधर शुक्ल कहते हैं कि परिवार में कहासुनी बड़ी बात नहीं हैं लेकिन उसे गांठ बांध लेने से मामला उलझ जाता है। यशोदानंदन त्रिपाठी कहते हैं कि पति-पत्नी को चाहिए कि आपस में संवादहीनता न पैदा होने दें तो शायद यह स्थिति न बने।