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चिकित्सक हैं न ही जांच की व्यवस्था

गोंडा: ठंड कहर बरपा रही है। ऐसे में लोग बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। उल्दी-दस्त

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jan 2018 10:09 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 10:09 PM (IST)
चिकित्सक हैं न ही जांच की व्यवस्था
चिकित्सक हैं न ही जांच की व्यवस्था

गोंडा: ठंड कहर बरपा रही है। ऐसे में लोग बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। उल्दी-दस्त, बुखार के अलावा अन्य मौसमी रोग लोगों को जकड़ रहे हैं। इसके बावजूद सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। मातृ-शिशु सुरक्षा के लिए करोड़ों खर्च किए जा रहे लेकिन ग्रामीण अंचल के अस्पताल में जांच और माकूल इलाज तक के प्रबंध नहीं हैं। इतना ही नहीं चिकित्सक और कर्मचारी भी मनमानी से बाज नहीं आ रहे। कुछ ऐसे ही हालातों का शिकार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नवाबगंज है। दैनिक जागरण टीम ने बुधवार को जायजा लिया तो हकीकत सामने आ गयी। पेश है आंखों देखी रिपोर्ट

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दिन-बुधवार।-समय-प्रात: 10.45 बजे।-स्थान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नवाबगंज।यहां इलाज के लिए 18 मरीज अपना पंजीकरण करा चुके थे। चिकित्सक के नाम पर अकेले अधीक्षक डा. विनेश त्रिपाठी ही उपलब्ध थे। अस्पताल में चिकित्सकों के कुल आठ पद हैं। इसमें चिकित्साधीक्षक के अतिरिक्त अन्य पद चिकित्सा अधिकारी व एक महिला चिकित्सक का है। एक सर्जन, एक एक फिजीशियन समेत तीन पद रिक्त है। चीफ फार्मासिस्ट की तैनाती है लेकिन वह कभी कभार ही आते हैं। स्टाफ नर्स के तीन नियमित पदों के सापेक्ष एक भी तैनाती नही है। तीन संविदा नर्स के सहारे अस्पताल चल रहा है।

अस्पताल की ओपीडी में 100 मरीज प्रतिदिन आने का औसत है लेकिन एक्सरे मशीन छह महीनों से खराब है। विभागीय जेई के जांच के बाद भी अभी तक ठीक नहीं हो सकी। विगत अप्रैल माह से पैथालॉजी में ब्लड शुगर की जांच किट के अभाव में नहीं हो पा रही है। अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट का पद भी खाली चल रहा है।अबतक अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था भी नहीं है। इस समय स्किन व सांस संबंधी रोगी ज्यादा आने की बात सामने आयी है। 30 बिस्तर के इस अस्पताल में कभी पूरे बेड लगे ही नहीं। वर्तमान में चौदह बिस्तर ही भर्ती मरीजों के लिए उपलब्ध है। यहां आकस्मिक इलाज की कोई व्यवस्था मौके पर मुकम्मल नहीं दिखी। भवन की हालत भी रखरखाव के अभाव में खस्ता हो चली है।

साहब, बाहर की दवा लिखी जा रही- सीएचसी आने वाले ज्यादातर मरीजों को दवा बाहर की लिखी जाती है। शायद यही कारण है कि सरकारी अस्पताल के सामने ही आधा दर्जन से अधिक दवा की दुकानें आबाद हैं। शोभापुर से आईं मरीज श्यामा देवी (50वर्ष) बोलीं कि साहब यहां बाहर की दवा लिखी जाती है। नकहरा निवासी रामलाल ने भी इसकी ताईद की। माझाराठ निवासी राजकुमार यादव ने हड्डी रोग चिकित्सक न होने की बात कही।

उपलब्ध संसाधनों जरिए बेहतर इलाज का प्रबंध किया जा रहा है। जो दवाएं अस्पताल में मौजूद नहीं हैं उनकी स्थानीय स्तर पर खरीद कर मरीजों को उपलब्ध कराया जाता है।

डॉ विनेश त्रिपाठी, अधीक्षक।


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