पहले करें बीज का शोधन, फिर बोआई
गोंडा : रबी में बोई जाने वाली फसलों को रोगों से बचाव के लिए बीज का शोधन करना जरूरी है। इसलिए बीज शोध
गोंडा : रबी में बोई जाने वाली फसलों को रोगों से बचाव के लिए बीज का शोधन करना जरूरी है। इसलिए बीज शोधन करने के बाद ही बोआई करें। यह अपील जिला कृषि अधिकारी जेपी यादव ने किसानों से की है। उन्होंने बताया कि फसल की सुरक्षा करके अधिक पैदावार ली जा सकती है। बिना बीज शोधन के बोआई करने पर फसलें फफूंदी, जीवाणु जनि रोगों का प्रकोप देखा जाता है। रोग कारक फफूंदी व जीवाणु बीज से लिपटे रहते हैं या फिर भूमि में पड़े रहते हैं। बीज बोने के बाद फफूंदी अपने स्वभाव के अनुसार नमी मिलते ही उगते बीज या अंकुरित पौधे के विभिन्न भागों में संक्रमित करके रोग उत्पन्न कर देता है। रोगों से फसलों को बचाने के लिए बीज उपचार ही एक सरल तरीका है। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि बीज शोधन के लिए फफूंदी नाशक रसायन थीरम 75 प्रतिशत या कार्बेडाजिम 50 प्रतिशत, इसके अलावा कॉर्बाक्सिन 37.5 प्रतिशत की 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से व बायोपेस्टीसाइड ट्राइकोडर्मा हारजोनियम 4 ग्राम से उपचारित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि भूमि शोधन के लिए ट्राइकोडर्मा हारजोनियम 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर अंतिम जुताई के समय प्रयोग करें। जिससे भूमि जनित रोगों से फसलों को बचाया जा सके।