चार हजार रुपये पर लखनऊ के लिए मिली निजी एंबुलेंस
भटकती रहीं प्रसूता खुद के साधन से गईं घरभटकती रहीं प्रसूता खुद के साधन से गईं घरभटकती रहीं प्रसूता खुद के साधन से गईं घरभटकती रहीं प्रसूता खुद के साधन से गईं घरभटकती रहीं प्रसूता खुद के साधन से गईं घरभटकती रहीं प्रसूता खुद के साधन से गईं घर
गोंडा: सोमवार को दिन में एक बजे, जिला अस्पताल के बाहर निजी एंबुलेंस चालक व तीमारदार शत्रोहन के बीच बातचीत चल रही थी। शत्रोहन के ससुर की तबीयत खराब होने पर वह उन्हें रात में जिला अस्पताल लाए थे। यहां से सुबह उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया। एंबुलेंस 108 का फॉर्म भरवाया। अधिकारियों से उस पर आदेश करवाया। डॉक्टर से कॉल करवाया लेकिन, जब एंबुलेंस नहीं मिली तो वह निजी एंबुलेंस चालक के पास पहुंच गए। निजी चालक पांच हजार रुपये रेट बता रहा था। किसी तरह वह चार हजार रुपये में लखनऊ ले जाने के लिए तैयार हुआ। आम तौर पर ढाई हजार रुपये में लखनऊ के लिए निजी वाहन बुकिग पर जाते हैं। इनसेट
उठे सवाल
- जिला पुरुष व महिला अस्पताल की विभागीय एंबुलेंस कहां हैं। इन्हें मरीजों को लखनऊ ले जाने के लिए क्यों नहीं दिया गया, इन तमाम सवालों के जवाब किसी के पास नहीं हैं। स्वास्थ्य अधिकारी इस पर पता करने की बात कहकर कन्नी काट रहे हैं। जिले में 108 की 39, 102 की 40 व तीन एएलएस एंबुलेंस संचालित हैं। इनसेट
जिम्मेदार के बोल
- अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ. सतीश कुमार का कहना है कि 108 व 102 एंबुलेंस के कर्मी हड़ताल पर हैं। वह सभी सेवा प्रदाता फर्म से हैं। इसके बारे में अधिकारियों को बताया गया है। वहां से जानकारी की जा रही है।