आप तो फिर भी अच्छी सड़क से गुजरे थे सीएम साहब
गाजीपुर पीडब्ल्यूडी हो एनएचआई या फिर पीएमजीएसवाइ लगभग सभी विभागों के सड़कों की स्थिति सही नहीं रह गई है। भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का आलम यह है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाइ) के तहत चार करोड़ 59 लाख
जासं, गाजीपुर : मऊ से 16 अक्टूबर को वाराणसी जाते समय जिले की जिस सड़क ने सीएम को जनता के दर्द का आभास दिलाया। सूबे की सड़कों की बदहाली का खाका खींचा वह तो फिर भी औरों से बहुत बेहतर है। यहां तो क्या पीडब्ल्यूडी, क्या एनएचआई या फिर क्या पीएमजीएसवाइ। भ्रष्टाचार और कमीशनबाजी में सब एक से बढ़कर एक। बतौर बानगी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाइ) के तहत चार करोड़ 59 लाख 84 हजार की लागत से बनी सड़क को लिया जा सकता है जो एक वर्ष भी नहीं चल पाई। लावामोड़ से सुभाखरपुर करीब आठ किमी लंबी सड़क की स्थिति चीख-चीख कर सारी कहानी कह रही है।
लावामोड़ से सुभाखरपुर सड़क काफी चर्चित भी रही है। पूर्व की सपा सरकार में इसी सड़क के लिए अनशन पर बैठे लोगों पर पुलिस ने बल का भी प्रयोग किया था। सरकार बदलने पर सड़क पर कार्य तो शुरू हो गया, लेकिन मानक का तनिक भी ध्यान नहीं दिया गया। बीच-बीच में स्थानीय लोगों ने इसका विरोध भी किया और अधिकारियों से इसकी शिकायत भी की, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत कर कार्यदायी संस्था ने मनमाने तरीके से 25 मई 2018 को सड़क बनाकर जनता को समर्पित कर दिया। सड़क पर वाहनों के दौड़ते ही इसमें प्रयुक्त मैटेरियल की पोल खुल गई। कुछ दिन बाद ही सड़क उखड़नी शुरू हो गई। ग्रामीणों के हो हल्ला पर एक बार मरम्मत भी हुई, लेकिन मानक की जमकर अनदेखी किए जाने के कारण सड़क पूरी तरह से टूट गई है। इतने बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं कि वाहन उसपर टंग जाते हैं। सड़क की स्थिति काफी दयनीय हो गई है, लेकिन मरम्मत अभी तक शुरू नहीं हो सका है।
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सड़क बनाते समय मानक का तनिक भी ध्यान नहीं दिया गया। यही कारण है कि चार करोड़ से अधिक की लागत से बनी सड़क एक वर्ष में पूरी तरह से उखड़ गई है।
मनोज कुशवाहा, बभनौली ---
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इस सड़क के लिए स्थानीय लोगों ने आंदोलन भी किया, लाठी भी खाई। लेकिन विभागीय भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है सभी आंदोलन धरा का धरा रह गया।
- गुप्तेश्वर तिवारी, अरखपुर। ---
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सड़क की स्थिति ऐसी है कि देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। गड्ढा इतना बड़ा हो गया है कि वाहन उसी पर टंग जाते हैं। इसपर पैदल भी चलना दुश्वार हो गया है।
- मंटू मिश्रा, मानपुर। ---
फोटो : 28सी। इस सड़क पर चलना मतलब दुर्घटना को आमंत्रित करने के बराबर हो गया है। करोंड़ों की लागत से सड़क का निर्माण भी हुआ, लेकिन स्थानीय लोगों को इस समस्या से निजात नहीं मिल सका।
- सुभाष राजभर, बाबूरायपुर।