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भारतीय संस्कृति को बिगाड़ रही पाश्चात्य सभ्यता

नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर अग्रवाल टोली परिसर में सांस्कृतिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। 'पाश्चात्य संस्कृति का भारत पर प्रभाव तथा भारत के नैतिक मूल्यों का अवलोकन' विषयक संगोष्ठी में सेवानिवृत्त शिक्षक मुख्य अतिथि राधेश्याम ने कहा कि पाश्चात्य सभ्यता भारतीय संस्कृति को विकृति कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 06:30 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 06:30 PM (IST)
भारतीय संस्कृति को बिगाड़ रही पाश्चात्य सभ्यता

जासं, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर अग्रवाल टोली परिसर में सांस्कृतिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। 'पाश्चात्य संस्कृति का भारत पर प्रभाव तथा भारत के नैतिक मूल्यों का अवलोकन' विषयक संगोष्ठी में सेवानिवृत्त शिक्षक मुख्य अतिथि राधेश्याम ने कहा कि पाश्चात्य सभ्यता भारतीय संस्कृति को विकृति कर रही है। हम नकल तो कर रहे हैं लेकिन अच्छे कार्यों का अगर नकल कर आविष्कार करते तो देश का भविष्य और भी उज्ज्वल होता। हमारा देश कभी विश्व गुरु था, हमारी संस्कृति विश्व कल्याण की कामना करती है। आज के परिवेश में भोजन, बाल व सामाजिक संबंध बनाए रखने के ढंग बदल गए हैं। अगर हमें पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभावों से बचना है तो धरातलीय भारतीय संस्कृति के पोषक सरस्वती शिशु मंदिर की शिक्षा को स्वीकार करना चाहिए। सभी लोगों को दोहरी शिक्षा नीति का विरोध करना चाहिए। कार्यशाला में संजय श्रीवास्तव, उमाकांत पांडेय, विश्वनाथ गिरि, गोपाल राय, धनन्जय, मुकेश आदि थे। अध्यक्षता समाजसेवी डा. रामसूरत तिवारी व संचालन जग नारायण राय ने किया। प्रधानाचार्य प्रभाकर पाठक ने आभार ज्ञापित किया।

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