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खतरे के निशान से गंगा दूर, सहायक नदियां उफान पर

गाजीपुर गंगा का जलस्तर अभी स्थिर बना हुआ है। खतरे के निशान से गंगा अभी बहुत दूर है। गुरुवार की दोपहर तक स्थिर रहने के बाद रात में थोड़ा बढ़ाव हुआ लेकिन दूसरे दिन सुबह फिर थम गया है। शुक्रवार की शाम चार बजे तक गंगा का जलस्तर 55.400 मीटर रिकार्ड किया गया

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 05:00 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 05:00 PM (IST)
खतरे के निशान से गंगा दूर, सहायक नदियां उफान पर
खतरे के निशान से गंगा दूर, सहायक नदियां उफान पर

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : गंगा का जलस्तर अभी स्थिर बना हुआ है। खतरे के निशान से गंगा अभी बहुत दूर है। गुरुवार की दोपहर तक स्थिर रहने के बाद रात में थोड़ा बढ़ाव हुआ लेकिन दूसरे दिन सुबह फिर थम गया है। शुक्रवार की शाम चार बजे तक गंगा का जलस्तर 55.400 मीटर रिकार्ड किया गया, जबकि खतरे का निशान 63. 105 मीटर है। जलस्तर के रुकने से तटवर्ती इलाकों के लोगों ने राहत की सांस ली है। दूसरी ओर सहायक नदियां उफान पर हैं जिससे तटवर्तीय लोगों में खौफ है।

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बारिश होने के कारण गंगा में उथल -पुथल शुरू हो चुकी है। धीरे-धीरे जलस्तर में बढ़ाव भी शुरू हो चुका है। इससे तटवर्ती इलाकों के लोगों की धुकधुकी बढ़ गई है। हालांकि रफ्तार कम होने के कारण उनमें राहत है, लेकिन गंगा में आने वाले सैलाब को लेकर उनमें भय बना हुआ है। सबसे अधिक दिक्कत कटान प्रभावित क्षेत्रों की है। कई स्थानों पर ठोकर का निर्माण हो चुका है, लेकिन यह कितना कारगर साबित होगा उस पर संशय बना हुआ है। केंद्रीय जल आयोग कार्यालय के प्रभारी सुरेंद्र ने बताया कि बीते गुरुवार की रात में गंगा का जलस्तर बढ़ रहा था लेकिन शुक्रवार की सुबह से जलस्तर स्थिर बना हुआ है।

सहायक नदियां बढ़ाव पर

गंगा का जलस्तर भले ही स्थिर हो लेकिन अन्य सहायक नदियां उफान पर हैं। लगातार बारिश होने के कारण गोमती, टोंस, गांगी, बेसो, मगई, भैंसही सहित अन्य नालों का जलस्तर उफान पर है। बेसो, गांगी एवं मगई का जलस्तर आसपास के क्षेत्रों में फैलने लगा है। इससे निचले और किनारे के इलाकों में हलचल है।


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