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दूसरे प्रांतों से पैदल ही जा रहे मजदूर

जासं मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) दूसरे प्रांतों से श्रमिकों का पैदल अपने गांवों की ओर जाना जारी है। शुक्रवार को एनएच-31 पर पैदल ही बिहार की ओर से जाते मजदूर दिखे। जिन्हें रोककर लोगों ने नाश्ता पानी कराकर आगे के लिए रवाना किया। सभी मजदूर हैदराबाद के मल्लम पेट नामक जगह पर भवन निर्माण के दौरान सटरिग का कार्य करते थे। बिहार के सिमरी बक्सर के उपेंद्र पासवान राजपुर बक्सर के अमित कुमार भागलपुर के लक्ष्मण शर्मा के साथ पैदल ही जा रहे करीब 12 श्रमिकों ने बताया कि कंपनी बंद हो गई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 04:26 PM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 04:26 PM (IST)
दूसरे प्रांतों से पैदल ही जा रहे मजदूर
दूसरे प्रांतों से पैदल ही जा रहे मजदूर

जासं, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : दूसरे प्रांतों से श्रमिकों का पैदल अपने गांवों की ओर जाना जारी है। शुक्रवार को एनएच-31 पर पैदल ही बिहार की ओर से जाते मजदूर दिखे। जिन्हें रोककर लोगों ने नाश्ता पानी कराकर आगे के लिए रवाना किया। सभी मजदूर हैदराबाद के मल्लम पेट नामक जगह पर भवन निर्माण के दौरान सटरिग का कार्य करते थे। बिहार के सिमरी बक्सर के उपेंद्र पासवान, राजपुर बक्सर के अमित कुमार, भागलपुर के लक्ष्मण शर्मा के साथ पैदल ही जा रहे करीब 12 श्रमिकों ने बताया कि कंपनी बंद हो गई। कुछ दिन तो उन्हें भोजन मिला लेकिन उसके बाद कोई व्यवस्था न होने से 10 दिन पूर्व वहां से पैदल अपने गांव के लिए निकल गए। रास्ते में कहीं ट्रक, ट्रैक्टर आदि साधन का सहारा लेते हुए किसी तरह यहां पहुंचे हैं। शाहनिन्दा में कुछ लोगों ने उन्हें नाश्ता कराया। वहां से पैदल ही वे बिहार की ओर निकल गए। कहा कि गांव पर चलकर ही परिवार के संग रहकर कुछ रोजी रोटी का उपाय निकालेंगे।

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भूखे, प्यासे पैदल चलने को मजबूर

जासं, खानपुर (गाजीपुर): कोरोना काल में अप्रवासी मजदूरों के पलायन का सिलसिला अनवरत चल रहा है। भूखे, प्यासे पैदल सिर पर बैग और झोला टांगे ये श्रमिक अपने गंतव्य को पहुंचने के लिए हर मुसीबतों से टकरा रहे हैं। प्रतिदिन सिधौना गोमती पुल के नीचे सैकडों की संख्या में मजदूरों का जमावड़ा लग रहा है। दिनभर आराम करने के बाद रात में नदी पार करते हैं। सूरज की पहली किरण के साथ बभनौली, रामपुर, बुड़ीपुर, औड़िहार होते हुए सैदपुर से आगे निकल रहे हैं। पुलिस की सख्ती से परेशान श्रमिकों को नाविक भी नौका से नदी पार नहीं करा रहे है। नदी किनारे टहलते हुए मजदूरों को अमेहता घाट के करीब नदी में जलधारा कम दिखी और वहीं से नदी पार करने की जुगाड़ लगाने में लग गए। इलाहाबाद से आए मजदूरों को नदी किनारे बेकार पड़ी बांस की फच्चियां (चचरी) को रस्सी और तार से बांधकर छह छह की संख्या में नदी पार कर खेतों की पगडंडियों से होते हुए अपने मंजिल की ओर बलिया निकल गए।


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