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परीक्षा को त्योहार की तरह समझें विद्यार्थी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को परीक्षा पे चर्चा 2022 के पांचवें कार्यक्रम के तहत बच्चों से संवाद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह परीक्षा को त्योहार के रूप में लें और उसका भरपूर आनंद उठाएं। इस दौरान जवाहर नवोदय विद्यालयों में बच्चों को प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम लाइव प्रसारण कर दिखाया गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Apr 2022 08:05 PM (IST)Updated: Fri, 01 Apr 2022 08:07 PM (IST)
परीक्षा को त्योहार की तरह समझें विद्यार्थी
परीक्षा को त्योहार की तरह समझें विद्यार्थी

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को 'परीक्षा पे चर्चा 2022' के पांचवें कार्यक्रम के तहत बच्चों से संवाद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह परीक्षा को त्योहार के रूप में लें और उसका भरपूर आनंद उठाएं। इस दौरान जवाहर नवोदय विद्यालयों में बच्चों को प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम लाइव प्रसारण कर दिखाया गया। पिछले दो साल के बाद आफलाइन परीक्षा देने जा रहे 10वीं और 12वीं के विद्यार्थी तनाव में हैं। ऐसे समय में प्रधानमंत्री के साथ प्रेरणादायी चर्चा से बच्चों का तनाव कम हुआ और उन्होंने खुद को पहले से अधिक ऊर्जावान महसूस किया।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि पुराने जमाने में शिक्षक का परिवार से संपर्क रहता था। परिवार अपने बच्चों के लिए क्या सोचते हैं उससे शिक्षक परिचित होते थे। शिक्षक क्या करते हैं, उससे परिजन परिचित होते थे। यानी शिक्षा चाहे स्कूल में चलती हो या घर में, हर कोई एक ही प्लेटफार्म पर होता था, लेकिन अब बच्चा दिन भर क्या करता है, उसके लिए मां-बाप के पास समय नहीं है। शिक्षक को केवल सिलेबस से लेना देना है कि मेरा काम हो गया, मैंने बहुत अच्छी तरह पढ़ाया, लेकिन बच्चे का मन कुछ और करता है।

जब तक हम बच्चे की शक्ति, सीमाएं, रुचि और उसकी अपेक्षा को बारीकी से जानने का प्रयास नहीं करते हैं, तो कहीं न कहीं वो लड़खड़ा जाता है। इसलिए मैं हर अभिभावक और शिक्षक को कहना चाहूंगा कि आप अपने मन की आशा, अपेक्षा के अनुसार अपने बच्चे पर बोझ न बढ़ाएं, इससे बचने का प्रयास करें। आगे कहा कि 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए।

अगर हम अपने आपको इन्वाल्व नहीं करेंगे, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे। पहले हमारे यहां खेलकूद एक एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था, लेकिन इस नेशनल एजुकेशनल पालिसी में उसे शिक्षा का हिस्सा बना दिया गया है।

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फोटो : 39 सी।

- पीएम ने आनलाइन पढ़ाई के साइड इफेक्ट भी बताए। समझाया कि समस्या आनलाइन पढ़ने में नहीं है, बल्कि मन की एकाग्रता में है। आनलाइन पाने के लिए है, आफलाइन बनने के लिए। उन्होंने कहा, जैसे डोसा बनाने की पूरी प्रक्रिया आनलाइन देखी और समझी जा सकती है, लेकिन पेट तो तब भरेगा जब आफलाइन के रूप में हम पूरी सामग्री जुटाएंगे और डोसा बनाकर खाएंगे।

- शीतल, कक्षा 9 फोटो : 40 सी।

- प्रधानमंत्री से सीखने को मिला कि अपने इन अनुभवों को, जिस प्रक्रिया से आप गुजरे हैं, उसको आप कतई छोटा मत मानिए। दूसरा आपके मन में जो पैनिक होता है, उसके लिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप किसी दबाव में मत रहिए। जितनी सहज दिनचर्या आपकी रहती है, उसी सहज दिनचर्या में आप अपने आने वाले परीक्षा के समय को भी बिताइए।

- अजय पांडेय, कक्षा-12, फोटो : 41 सी।

- पीएम ने कहा, मन में तय कर लीजिए कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है। हमारी विकास यात्रा के ये छोटे-छोटे पड़ाव हैं। इस पड़ाव से पहले भी हम गुजर चुके हैं। पहले भी हम कई बार परीक्षा दे चुके हैं। जब ये विश्वास पैदा हो जाता है तो आने वाले एक्जाम के लिए ये अनुभव आपकी ताकत बन जाता है।

- शाम्भवी, कक्षा-10 फोटो : 42सी।

: प्रधानमंत्री ने त्योहारों और परीक्षाओं को एक जैसा समझने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि त्योहारों के बीच में परीक्षाएं भी होती हैं। इससे त्योहारों का मजा नहीं ले पाते, लेकिन अगर परीक्षा को ही त्योहार बना दें, तो उसमें कईं रंग भर जाते हैं। इससे हम जैसे विद्यालयों की सोच में बदलाव आया है। बोर्ड परीक्षा का तनाव काफी कम हो गया है।

- अभिषेक कुमार, कक्षा-10 फोटो : 43 सी।

: बोर्ड परीक्षा हमेशा ही विद्यार्थियों को तनाव देने वाली होती हैं, लेकिन तनावमुक्त रहकर भी परीक्षा दी जा सकती है, इसे आज प्रधानमंत्री ने बहुत बारीकी से समझाया। त्योहार और परीक्षा का उदाहरण काफी अच्छा लगा। इससे हम सभी विद्यार्थी खुद को तनावमुक्त महसूस कर रहे है। इससे बोर्ड परीक्षा देना काफी आसान होगा। ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए।

-सौरभ यादव, कक्षा-12 फोटो : 44 सी।

: पढ़ते समय आपका मन कहां है यह ध्यान देना आवश्यक है। केवल दिखावे के लिए किताब लेकर घूमना सही नहीं है। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से हमें यह प्रेरणा मिली कि सीखने पर जोर देना चाहिए। अपने प्रयासों से सफलता को हासिल कर सकते हैं। लगातार प्रयास करते रहने और समय का पाबंद होने से हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

- प्रेमप्रकाश, कक्षा-11


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