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खुर्शीद मंजिल में दबकर नष्ट हो रहा ज्ञान का भंडार

शिक्षा जीवन की अमूल्य निधि है तो पुस्तकें उसकी दाता। इस बात को सभी जानते समझते व आत्मसात भी करते हैं बावजूद इसके इसे शासन - प्रशासन की अनदेखी कहें या फिर कुछ और। आलम यह है कि काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर परिसर में स्थित खुर्शीद मंजिल में दबकर ज्ञान का भंडार नष्ट हो रहा है। कभी यहां पर पुस्तक लेने के लिए छात्रों को लाइन लगानी पड़ती थी

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Dec 2019 08:33 PM (IST)Updated: Sun, 22 Dec 2019 08:33 PM (IST)
खुर्शीद मंजिल में दबकर नष्ट हो रहा ज्ञान का भंडार
खुर्शीद मंजिल में दबकर नष्ट हो रहा ज्ञान का भंडार

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : शिक्षा जीवन की अमूल्य निधि है, तो पुस्तकें उसकी दाता। इस बात को सभी जानते, समझते व आत्मसात भी करते हैं बावजूद इसके इसे शासन - प्रशासन की अनदेखी कहें या फिर कुछ और। आलम यह है कि काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर परिसर में स्थित खुर्शीद मंजिल में दबकर ज्ञान का भंडार नष्ट हो रहा है। कभी यहां पर पुस्तक लेने के लिए छात्रों को लाइन लगानी पड़ती थी लेकिन अब तो लोग इस भवन में जाने से कतरा रहे हैं। पुस्तकालय रखी पुस्तकों को दीमक व चूहे चट कर जा रहे हैं। करीब एक दशक से बंद पड़े एक लाख की क्षमता वाला पुस्तकालय भवन जर्जर हो चुका है। बारिश से पानी टपकने से इसमें रखीं कीमती पुस्तकें नष्ट हो चुकी हैं।

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जनपद के लोगों को उच्च शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1951 में स्थापित काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर विद्यालय ज्ञानपुर को पूरे प्रदेश में आदर्श महाविद्यालय के ²ष्टि से देखा जाता था। महाविद्यालय में कुल 22 विषयों में (19 पोस्ट ग्रेजुएट व तीन विषयों में डिग्री कोर्स) की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही वर्तमान समय में जहां कृषि संकाय संचालित करने की योजना के तहत कृषि संकाय का निर्माण कार्य प्रगति पर है तो शारीरिक शिक्षा विषय की मान्यता शीघ्र ही मिलने की बात कही जा रही है। इसके बाद भी यहां स्थापित पुस्तकालय का हाल- बेहाल है। करीब एक लाख पुस्तकों से सुसज्जित पुस्तकालय में एक दशक से ताला लटका हुआ है। महाविद्यालय में अध्ययनरत आठ हजार से अधिक विद्यार्थियों को उनका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। भवन जर्जर होने से महाविद्यालय के कर्मचारी इसमें जाने से कतराते हैं। खराब बात तो यह है कि अभी तक लाइब्रेरियन की तैनाती नहीं की जा सकी है। धीरे-धीरे एक दशक बीत गए लेकिन अभी तक पुस्तकों को किसी ने हैंडओवर भी नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि लाइब्रेरियन रिटायर हो गए। उनका कोई मामला कोट में चल रहा है। इससे भयभीत होकर कोई कर्मचारी यहां का चार्ज भी नहीं ले रहा है।

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पद सृजित लेकिन नहीं हैं कर्मचारी

काशीनरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर में स्थित लाइब्रेरी में पुस्तकों की देख-रेख के लिए एक लाइब्रेरियन, दो सहायकों सहित दर्जन भर कर्मचारियों की तैनाती के लिए पद सृजित किए गए हैं। वर्तमान समय में यहां पर एक भी कर्मचारी नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि पुस्तकालय खोलवाने के लिए प्रयास न किये गए हों। समय-समय पर छात्र-छात्राओं द्वारा जहां धरना-प्रदर्शन व अनशन किए गए तो महाविद्यालय प्रशासन की ओर से मामले से संबंधित उच्चाधिकारियों व जन प्रतिनिधियों को अवगत भी कराया गया लेकिन विडंबना यह है कि आज तक कोई ऐसी ठोस पहल नहीं हो सकी

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- पुस्तकालय भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है। बारिश से भीगी किताब खराब हो गई हैं। कीमती पुस्तकों को सुरक्षित रखा गया है। इसे संचालित करने के लिए न तो लाइब्रेरियन की तैनाती है न ही एक भी कर्मचारी की। ऐसे में पुस्तकालय नहीं खुल पा रहा है। महाविद्यालय से लाइब्रेरियन व अन्य कर्मचारियों की तैनाती के लिए कई बार प्रस्ताव शासन व उच्चाधिकारियों को भेजा जा चुका है। ज्ञानपुर विधायक की ओर से एक लाइब्रेरी का निर्माण कराया जा रहा है। इससे छात्रों को सहूलियत मिलेगी।

- डा. पीएन डोंगरे, प्राचार्य, काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय।


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