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जिला कारागार से पहले भी फरार हो चुके हैं बंदी

जासं गाजीपुर जिला कारागार से पहले भी कई बंदी दीवार फांदकर फरार हो चुके हैं। जबकि बंदियों पर निगरानी रखने के लिए जेल परिसर में दस कैमरे भी लगाए गए हैं। वहीं जेल प्रशासन जेल की सुरक्षा चाक-चौबंद होने का दावा करता है लेकिन हकीकत इससे इतर है। अगर बीते वर्षों फरार हुए बंदियों पर एक नजर डाली जाए तो 19 अगस्त 2009 25 मार्च 200

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 06:23 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 06:23 PM (IST)
जिला कारागार से पहले भी फरार हो चुके हैं बंदी

जासं, गाजीपुर : जिला कारागार से पहले भी कई बंदी दीवार फांदकर फरार हो चुके हैं। जबकि बंदियों पर निगरानी रखने के लिए जेल परिसर में दस कैमरे भी लगाए गए हैं। वहीं जेल प्रशासन जेल की सुरक्षा चाक-चौबंद होने का दावा करता है, लेकिन हकीकत इससे इतर है। अगर बीते वर्षों फरार हुए बंदियों पर एक नजर डाली जाए तो 19 अगस्त 2009, 25 मार्च 2008 व 13 जुन 2015 को बंदी दीवार फांदकर फरार हुए हैं।

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पूर्वांचल की अतिसंवेदनशील जेलों में शुमार जिला जेल हमेशा ही सुर्खियों में रहता है। कभी बंदियों द्वारा मोबाइल फोन पर बात करते तो कभी जेल में पार्टी मनाने को लेकर। यहां मारपीट की कौन कहे, हत्या व आत्महत्या तक हो चुकी है। यही नहीं, मोबाइल फोन से बदमाश जेल में बैठे-बैठे बाहर रंगदारी भी मांगते रहते हैं। जब प्रशासन छापेमारी करता है तो कुछ नहीं मिलता। ऐसे में साफ है कि बिना जेल प्रशासन की मिलीभगत के कुछ भी संभव नहीं है। 25 मार्च 2008 को जिला जेल में बंद धीरज सिंह, आनंद सिंह व प्रमोद सिंह चहारदीवारी फांदकर फरार हो गए थे। 19 मई 2009 को कृष्णा राम भी फरार होने में सफल रहा। इसी तरह 13 जून 2015 को धोखाधड़ी के मामले में बंद एक बंदी रात के समय दीवार फांदकर फरार हो गया था। इसके अलावा बीते नौ अक्टूबर 2015 को जेल के बाहर सफाई कर रहा शाहरूख भी चकमा देकर फरार हो गया था। इतना ही नहीं 21 जून 2010 को जेल में बंद रामबचन यादव, वसीम अहमद, राजकुमार उर्फ गुड्डू को कोल्डड्रिक में जहर देकर मौत के घाट उतार दिया गया था। 14 फरवरी 2014 को जेल में वसूली को लेकर बंदियों ने तत्कालीन प्रभारी जेलर विजय पांडेय को पीट दिया था। घटनाओं का सिलसिला यही नहीं थमा 11 जनवरी 2016 को दोहरे हत्याकांड के आरोप में जिला जेल में बंद मोहन यादव ने किसी बात को लेकर डिप्टी जेलर को पीट दिया था। 21 जनवरी 2017 को जेल में मोबाइल इस्तेमाल करने को लेकर बंदियों ने जमकर हंगामा किया। 16 अगस्त 2018 को घटिया खाना देने व बेहतर उपचार की सुविधा न देने पर बंदियों ने तोड़फोड़ के साथ आगजनी भी की थी।


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