तीन तलाक बिल पर किसी ने जताई सहमति तो किसी ने उठाए सवाल
गाजीपुर : बहुप्रतीक्षित तीन तलाक बिल गुरुवार को लोकसभा में पारित होते ही फिर से चर्चा के केंद्र में आ गया। इसको लेकर लोग तरह-तरह की बात करते सुने गए।
जासं, गाजीपुर : बहुप्रतीक्षित तीन तलाक बिल गुरुवार को लोकसभा में पारित होते ही फिर से इसे लेकर चर्चा शुरू हो गया है। इस मामले में अब भी इस पर राय जुदा-जुदा है। किसी की नजर में यह मुस्लिम महिलाओं के लिए सही है तो कोई इसे धार्मिक मामला कह कर हस्तक्षेप न करने की बात रहा था। हालांकि ज्यादातर लोगों ने इस बिल का समर्थन किया और राज्यसभा में भी पास होने की उम्मीद जताई। राजनीतिक दलों के स्थानीय नेताओं ने इस पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी।
भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष भानु प्रताप ¨सह ने कहा कि भाजपा ने महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए यह बिल पेश किया। विपक्ष ने जिस तरीके से सदन का वाकआउट किया है, इससे साफ जाहिर हो चुका है कि वह महिलाओं के सम्मान के प्रति कितने सतर्क हैं। जनता भी सब देख रही है।
जिला कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष डा. मारकंडेय ¨सह ने कहा कि भारत में सभी को धार्मिक आजादी है। कांग्रेस का स्टैंड एकदम साफ है। इस पर पहले चर्चा और बहस करनी चाहिए, इसके बाद बिल लाना चाहिए। बिल को पास करने का तरीका गलत है।
समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष डा. नन्हकू यादव ने कहा कि सरकार ने जिस तरह तीन तलाक बिल को लोकसभा में पेश किया है वह स्वरूप ठीक नहीं था। इसे लेकर हमारी पार्टी ने सदन का वाकआउट किया। हम इस तरीके की ¨नदा करते हैं।
बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष कमलेश गौतम ने कहा कि लोकसभा में तीन तलाक का बिल पेश करने का तरीका ठीक नहीं था। इसके चलते ही विपक्षी दलों ने सदन का वाकआउट किया। इस पर और काम होना चाहिए था, और बहस की जरूरत थी।
मदरसा दारुल उलूम कादरिया के प्रभारी प्रधानाचार्य मौलाना फरीद अशरफ कादरी ने कहा कि शरीयत के कानून में किसी भी तरह का कोई बदलाव मंजूर नहीं है। कुरान व हदीस का फैसला अंतिम निर्णय है। इसमें राजनीतिक पार्टियों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अगर देखा जाए तो इस मामले में मुस्लिम से अधिक ¨हदू महिलाएं पीड़ित हैं सरकार को उनकी ओर भी ध्यान देना चाहिए।