साइलेंट किलर साबित हो रहा ध्वनि प्रदूषण
केस -1 : नगर में बजते वाहन हार्न के अलावा अनचाहे शोर से नगरवासी आजिज चुके हैं। काफी प्रय
केस -1 : नगर में बजते वाहन हार्न के अलावा अनचाहे शोर से नगरवासी आजिज चुके हैं। काफी प्रयास के बाद भी इस पर रोक नही लग पा रही है। समाजसेवी संजीव गुप्त ने इसे लेकर आवाज उठाई। कुछ समय पहले ध्वनि प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सड़कों पर जुलूस लेकर भी उतरे थे। साथ ही वाहन चालकों को रोक कर बिना मतलब हार्न न बजाने का आग्रह भी किया था लेकिन इसका कोई असर पड़ता नहीं दिखा।
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने को लेकर शासन के जारी आदेश पर जिला प्रशासन हरकत में जरूर आया है लेकिन सतही स्तर पर बहुत कुछ खास हुआ हो ऐसा नहीं लगता है। जिलाधिकारी ने सभी एसडीएम को कार्रवाई का निर्देश जारी कर दिया है। इसके लिए एडीएम को नोडल अधिकारी बनाया गया है। अब धार्मिक स्थलों के लाउडस्पीकर बजाने के साथ ही मैरिज लॉन व अन्य जगहों पर डीजे आदि बजाने के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। ध्वनि प्रदूषण वाले स्थानों की सूची बनाई जा रही है।
शहर के लिए ध्वनि प्रदूषण साइलेंट किलर साबित हो रहा है। लगातार तेज ध्वनि में रहने के कारण हर महीने दर्जनों लोगों की सुनने की क्षमता कम हो रही है। भारतीय मानक संस्थान की ओर से ध्वनि प्रदूषण का लेबल 60 डेसिबल से अधिक नुकसानदेह माना गया है, जबकि शहर में दिन के समय यह 80 से 90 तक रहता है। इसका प्रमुख कारण ट्रैफिक, जाम व गाड़ियों की तेज आवाज है। ऑडियोलॉजिस्ट की मानें तो जाम लगते ही ध्वनि प्रदूषण दोगुना बढ़ जाता है। खासकर लग्न के मौसम में शाही-विवाह के दौरान सड़कों पर डीजे एवं लाउडस्पीकर का शोर लोगों को काफी परेशान करता है। खासकर जिला अस्पताल के पास शोर होने से मरीजों को काफी तकलीफ होती है। इसके अलावा सड़कों को घेर कर बैंड-बाजा के साथ जाती बारात आवागमन भी प्रभावित करते हैं लेकिन लोगों की परेशानियों के बारे में कोई ध्यान नहीं देता है। हालांकि अब शासन के आदेश के बाद प्रशासन हरकत में आता दिख रहा है। कार्रवाई होती है या नहीं इसका कितना असर दिखता है यह तो आने वाला समय बताएगा।
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शहरी क्षेत्रों में बढ़ी है कान के रोगियों की संख्या
जिला अस्पताल के चिकित्सक डा. दिलीप गुप्ता ने बताया कि सामान्य तौर पर सुनने के लिए 20 डेसीबल आवाज ठीक होती है लेकिन लगातार हो रहे शोर लोगों की सुनने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है। साथ ही एक ही जगह पर लगातार गाड़ियों की आवाज व हॉर्न प्रदूषण लेबल को बढ़ा देती है। लोगों को तेज ध्वनि से बचना चाहिए। बताया कि शहरी क्षेत्रों में पिछले दो वर्षों में मरीजों की संख्या तीन-चार गुना बढ़ गयी है। टेस्ट कराने वाले अधिकतर लोगों में कम सुनायी पड़ने की बात देखी जा सकती है।
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लेनी होगी अनुमति
जिलाधिकारी के बालाजी ने कहा कि शासन का आदेश प्राप्त हो चुका है। सभी अधिकारियों को को इस पर कार्य करने का निर्देश जारी कर दिया गया है। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक ने एसपी सिटी को नोडल अधिकारी बनाया है। अब जहां भी लाउस्पीकर, डीजे, हार्न आदि बजाने हैं उन्हें अनुमति लेनी होगी। बिना अनुमति बजाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।