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ग्रामीण आजीविका का महत्वपूर्ण अंग है हथकरघा उद्योग

ग्रामीण आजीविका का महत्वपूर्ण अंग है हथकरघा उद्योग

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Aug 2022 09:14 PM (IST)Updated: Sun, 07 Aug 2022 09:14 PM (IST)
ग्रामीण आजीविका का महत्वपूर्ण अंग है हथकरघा उद्योग
ग्रामीण आजीविका का महत्वपूर्ण अंग है हथकरघा उद्योग

ग्रामीण आजीविका का महत्वपूर्ण अंग है हथकरघा उद्योग

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जागरण संवाददाता, खानपुर(गाजीपुर): क्षेत्र के अमेहता में बुनकरों ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया। हाफिज अली ने कहा कि हैंडलूम के बारे में अधिक से अधिक लोगों के बीच जागरुकता पैदा कर हैंडलूम से बने उत्पाद का इस्तेमाल करना है। हथकरघा कला देश की सांस्कृतिक विरासत के प्रमुख प्रतीकों में से एक है। हथकरघा समुदाय को सम्मानित करने और भारत के सामाजिक आर्थिक विकास में उनके योगदान को स्वीकार करने एवं प्रोत्साहित करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। शौकत अली ने कहा कि अमेहता में कभी सौ हथकरघा चलते थे जो आज सिमटकर मात्र 15 रह गए हैं। आधुनिक बदलावों के बावजूद, कला एवं करघा परंपराएं कलाकारों और शिल्पकारों के कई पीढ़ियों के सतत प्रयासों से यह कला अब तक जीवित रही है। हुनरमंद लोगों ने अपने सपनों एवं विजन को उत्कृष्ट हथकरघा उत्पादों में पिरोया और अपने कौशल को अपनी आने वाली पीढ़ियों तक रूपांतरित किया है। फारुख अहमद ने कहा कि हथकरघा सबसे बड़ी असंगठित आर्थिक गतिविधियों में से एक है जो कि ग्रामीण और अर्ध ग्रामीण आजीविका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कम पूंजी से संचालन, कम बिजली की उपयोग, पर्यावरण के अनुकूल और छोटे उत्पादन के साथ लचीला के लिए खुला और बाजार की आवश्यकता के अनुकूल होने का लाभ है। यह प्राकृतिक उत्पादन संपत्ति और कुटीर परंपरा को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्किल को हस्तांतरित करती है। जमीर, अशरफ अली, मोहम्मद, मुनाफ, मुनीब, मुनव्वर रहे।


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