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सरकारी उपक्रमों का निजीकरण लोकतंत्र के लिए खतरा

जागरण संवाददाता गाजीपुर रेलवे सहित 348 सरकारी उपक्रमों का निजीकरण के विरोध की आव

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 06:04 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 06:04 PM (IST)
सरकारी उपक्रमों का निजीकरण लोकतंत्र के लिए खतरा

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : रेलवे सहित 348 सरकारी उपक्रमों का निजीकरण के विरोध की आवाज तहसील से निकलकर अब जिला मुख्यालय पर पहुंच गई है। पूर्व प्रमुख चंदा यादव के नेतृत्व में शिक्षक संघ, पंचायत प्रतिनिधि, महिला संघ, रसोइया संघ, तथा किसान सभा तथा जनसंगठनों के लोगों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री, रेलमंत्री तथा मुख्यमंत्री को संबोधित पांच सूत्रीय ज्ञापन सिटी रेलवे स्टेशन मास्टर को सौंपा।

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चंदा यादव ने कहा कि जिस तरह से सरकार रेलवे बैंक बीमा सहित 345 सरकारी उपक्रमों को पूंजीपतियों को बेच रही है वह लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक संकेत है। रेलवे आम आदमी के जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। यह प्रत्यक्ष रूप से तो 12 लाख से ज्यादा परिवारों के जीवन यापन का साधन है, वहीं अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों लोगों के रोजी रोटी का साधन है। दूसरी बात यह है कि जब सरकारी उपक्रम बचेंगे ही नहीं तो आप को प्रतिनिधत्व कहां से मिलेगा? इसलिए इसकी आरपार की लड़ाई लड़नी होगी वरना आने वाली पीढ़ी आप को माफ नहीं करेगी। रसोइया संघ की जिलाध्यक्ष सुगंती कुशवाहा ने कहा कि रेलवे गरीबों की रथ है, इसको बेचना गरीबों के हित में नहीं होगा। रेल हमें जान से प्यारी है इसके लिए महिलाएं कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। किसान सभा के नेता रामावतार राम ने कहा कि केंद्र सरकार रेल सहित सैकड़ों सरकारी उपक्रमों का निजीकरण किया जाना आरक्षण पर अब तक का सबसे बड़ा हमला है। अगर रेलवे का निजीकरण हो जाय तो आम लोगों की पहुंच दूर हो जाएगी। करोड़ों लोग भुखमरी के शिकार होंगे। शिक्षक संघ के नेता मुन्ना प्राचार्य ने कहा कि आज सरकार नौकरी नहीं दे रही है बल्कि इसके विपरीत 50 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले कर्मचारियों की छंटनी करने लगी है। युवा बेरोजगारी के चलते आत्महत्या करने को मजबूर हैं। रालोद के प्रदेश सचिव महेंद्र यादव ने कहा कि रेलवे का जमीन, पटरी स्टेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर सभी जनता का है और सरकार पूंजीपतियों को बेच कर केवल उनका फायदा कराना चाहती है। जिसको जनता अब बर्दाश्त करने वाली नहीं है। इंटर कालेज के प्रबंधक रविद्र सिंह ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की संविदा पर नौकरी की घोषणा निजीकरण को बढ़ावा देने वाला है। इंटर कालेज के प्रबंधक रमाशंकर सिंह ने कहा कि रेलवे सहित सैकड़ों सरकारी उपक्रमों के निजीकरण से बेतहाशा बेरोजगारी व अराजकता बढ़ेगी, गरीबों को रेलवे की 32 हजार करोड़ की सब्सिडी खत्म हो जाएगी। महिला संघ की महा सचिव उषा यादव ने कहा रेल हम गरीबों का उड़न खटोला है। इसका निजीकरण बर्दास्त नहीं है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने पांच साल तक सशर्त संविदा नियुक्ति की बात की है। इससे सबसे ज्यादा महिला कर्मचारी प्रभावित होंगी, शर्त के पीछे महिलाओं का शारीरिक व मानसिक शोषण होगा और उनको अपनी नौकरी बचाने के लिए चुप रहना होगा। कार्यक्रम में रामावतार प्रधान, संतोष, मुन्ना यादव, शिवबली राजभर, महेंद्र यादव, रमाशंकर, उषा, परवीन बनो, जितेंद्र, महेश, सुभाष, संजय, रविन्द्र यादव, निर्मला, देवती, आरती, फूलमती प्रधान, शनिचरी, रजिया बेगम, शोभनाथ पाल, शेषनाथ, सूर्यनाथ व मुन्ना यादव आदि रहे


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