गरीबों का आसरा बना रैन बसेरा
सिटी रेलवे स्टेशन परिसर में नगरपालिका की ओर से बना रैन बसेरा गरीबों का आसरा बना हुआ है।
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : सिटी रेलवे स्टेशन परिसर में नगरपालिका की ओर से बना रैन बसेरा गरीबों का आसरा बना हुआ है। इसमें 25 रजाई एवं 25 गद्दे सहित कुल 25 बिस्तर की व्यवस्था है। साथ ही वहां पर अलाव भी जलाया जा रहा है। आने वाले लोगों की देखभाल के लिए तीन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।
ठंड ने असर दिखना शुरू कर दिया है। ऐसे में ठेले, खोमचे, रेहड़ी वालों को रात बिताने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सबसे अधिक परेशानी ट्रेन से आने वाले यात्रियों को उठानी पड़ती है। इनके लिए नगरपालिका की ओर से सिटी रेलवे परिसर में एक रैन बसेरा की व्यवस्था है जिसमें 25 बिस्तर का इंतजाम किया गया है। यहां रात होते ही सभी बिस्तर पूरी तरह भर जा रहे हैं। इसमें आस-पास के अलावा दूर-दराज से आवागमन करने वाले यात्रियों की संख्या काफी अधिक होती है। महिलाओं के लिए उसी टेंट में अलग से व्यवस्था की गई है। अगर कोई अपने परिवार के साथ आ-जा रहा है तो उनके लिए उसी टेंट में अलग से व्यवस्था की जा रही है।
अलाव भी जल रहे
शाम होते ही रैन बसेरा में आने वालों के लिए अलाव की व्यवस्था की जा रही है। लोग आग ताप कर गर्मी का आनंद ले रहे हैं। अलाव के लिए रोज लकड़ी नगरपालिका की ओर से गिराई जा रही है।
---------------
तीन कर्मचारियों की लगी है ड्यूटी
: रैन बसेरा में काम कर रहे धर्मेंद्र रावत ने बताया कि रैन बसेरा की देखभाल के लिए तीन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। कर्मचारी यहां आने वाले सभी लोगों का नाम, पता, आधार कार्ड एवं मोबाइल नंबर नोट कर रहे हैं।
वर्जन--
रैन बसेरा में वाटर प्रूफ टेंट लगाए गए हैं ताकि बारिश हो तो किसी तरह की कोई परेशानी न हो। वहीं हर आने वाले का पंजीकरण कराया जा रहा है। - लालचंद्र सरोज, अधिशासी अधिकारी, नगरपालिका सदर। श्मशान घाट पर प्रकाश व्यवस्था नहीं
जागरण संवाददाता, जमानियां (गाजीपुर) : बड़ेसर गांव के दैत्रावीर बाबा मंदिर के पास गंगा किनारे स्थित श्मशान घाट पर बिजली की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अंतिम संस्कार करने के लिए पहुंचे लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। क्षेत्रीय लोगों ने कई बार सिचाई विभाग व नगरपालिका से घाट पर प्रकाश व्यवस्था कराने की मांग की लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।
ब्लाक अंतर्गत बड़ेसर गांव के दैत्रावीर मंदिर के पास गंगा नदी के किनारे घाट है, जहां नगर सहित पड़ोसी जनपद चंदौली और बिहार बार्डर से सटे सैकड़ों गांव के लोग प्रतिदिन शव की अंत्येष्टि करने के लिए पहुंचते हैं। दिन के पहर शवों का अंतिम संस्कार हो जाता है लेकिन शाम होते ही घाट अंधेरे में डूब जाता है। अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे लोगों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अंधेरा होने के कारण लोग गिरकर चोटिल हो जाते हैं। इधर, सिचाई निर्माण खंड वाराणसी के सहायक अभियंता फूल चंद्र मौर्या ने कहा कि घाट पर प्रकाश की व्यवस्था के लिए अधिकारियों को पत्र भेजा गया है।