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गर्मी में खेतों की करें तीन से चार बार जोताई

जागरण संवाददाता गाजीपुर धान की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए किसान नर्सरी को सही तरीके तैयार कर कीटों से होने वाले रोगों से बचाव किया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 05:11 PM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 05:11 PM (IST)
गर्मी में खेतों की करें तीन से चार बार जोताई
गर्मी में खेतों की करें तीन से चार बार जोताई

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : धान की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए किसान नर्सरी को सही तरीके से तैयार कर कई रोग व कीटों से होने वाले नुकसान से बच सकते हैं, जिससे उनकी लागत कम और उपज अधिक होगी।

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जिला कृषि अधिकारी मृत्युंजय कुमार सिंह ने बताया कि धान की नर्सरी तैयार करते समय किसानों को दोमट व जीवांश युक्त भूमि पर नर्सरी डालनी चाहिए। इसकी नर्सरी बेड पर पानी का जल भराव न हो, यह भी ध्यान में रखना चाहिए, इसके लिए अच्छी जल निकास वाली भूमि का चुनाव करें। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती के लिए 800-1000 वर्ग मीटर स्थान धान की नर्सरी के लिए पर्याप्त होती है।

खेत की तैयारी

मई माह में जिस खेत में धान की नर्सरी डालनी हो उस खेत में गोबर की खाद बिछा दें। खेत की दो से तीन बार जोताई करके मिट्टी को भुरभुरी करें और अंतिम जोताई से पहले 10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद मिलाएं। खेत को समतल कर लगभग एक से डेढ़ मीटर चौड़ी, 10 से 15 सेंटीमीटर ऊंची व जरूरत के मुताबिक लंबी क्यारियां बनाएं। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 1000 वर्गमीटर की नर्सरी पर्याप्त होती है। हर बार जोताई के बाद पाटा लगा दें। ताकि ढेले टूट जाएं और मिट्टी भुरभुरी व समतल हो जाए। जोताई के पहले नाइट्रोजन की आधी मात्रा व फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा भूमि मेंअवश्य डाल दें।

नर्सरी के लिए बेड तैयार करना इसके के लिए 1.0 से 1.5 मीटर चौड़ी व 4 से 5 मीटर लंबी क्यारियां बनाना सही रहता है। क्यारियों के चारों तरफ पानी निकलने के लिए नालियां जरूर बनाएं। नर्सरी डालने का समय नर्सरी के लिए मध्यम व देर से पकने वाली किस्मों की बोआई मई के अंतिम सप्ताह से जून के दूसरे सप्ताह तक करें।

बीज की मात्रा

: धान की नर्सरी के लिए महीन धान 30-35 किलोग्राम व मोटे धान की 40 किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त होती है। बोआई के पहले खोखले व थोथे बीजों को निकालने के लिए, बीजों को दो फीसदी नमक के घोल में डालकर अच्छी तरह हिलाएं, जिससे खोखले व थोथे बीज ऊपर तैरने लगेंगे। बीजों को छानकर अलग कर दें। नर्सरी में अधिक बीज डालने से पौधे कमजोर रहते हैं और उनके सड़ने का भी डर रहता है। बीज उपचार भी जरूरी

: बीज जनित रोगों से बचाव के बीजों का उपचार करना बेहद जरूरी होता है। बीज उपचार के लिए किसी भी फफूंदीनाशक जैसे केप्टान, थाइरम, मेंकोजेब, कार्बंडाजिम व टाइनोक्लोजोल में से किसी एक दवा को 20 से 30 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर लें। पौधों को अंगमारी रोग से बचाने के लिए 1.5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन को 45 लीटर पानी के घोल में बीजों को 12 घंटे भिगो दें, इसके बाद सुखाकर बोआई करें। बीज की अंकुरण क्षमता को बढ़ाने और पौधों की बढ़वार तेज करने के लिए 400 मिली लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइड व 40 लीटर पानी के घोल में 30 से 35 किलोग्राम बीजों को भिगोकर व सुखाकर बोआई करें।

नर्सरी डालने का सही तरीका

- बीज को 24 घंटे पानी में भिगोकर 36-48 घंटे तक ढेर बनाकर रखना चाहिए, जिससे बीज में अंकुरण प्रारंभ हो जाए। इस अंकुरित बीज को खेत में लेव लगाकर दो सेमी खड़े पानी में छिड़काव विधि से बोया जाना चाहिए। धान की नर्सरी में 100 किग्रा नत्रजन और 50 किग्रा फास्फोरस प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करें। ट्राइकोडर्मा का एक छिड़काव नर्सरी लगने के 10 दिन के अंदर कर देना चाहिए। बोआई के 10-14 दिन बाद एक सुरक्षात्मक छिड़काव रोगों और कीटों के बचाव के लिए खैरा रोग के लिए एक सुरक्षात्मक छिड़काव 5 किग्रा जिक सल्फेट का 20 किलो यूरिया या 2.5 किग्रा बुझे हुए चूने के साथ 1000 लीटर पानी के साथ प्रति हेक्टेयर की दर से पहला छिड़काव बोवाई के 10 दिन बाद और दूसरा 20 दिन बाद करना चाहिए। सफेदा रोग के नियंत्रण हेतु चार किलो फेरस सल्फेट का 20 किलो यूरिया के घोल के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। झोंका रोग की रोकथाम के लिए 500 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लूपी का प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें और भूरा धब्बे के रोग से बचने के लिए दो किलोग्राम मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। नर्सरी में लगने वाले कीटों से बचाव के लिए 1.25 लीटर क्लोरोपाइरोफास 20 ईसी प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें।


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