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भाजपा से टिकट के मिलने के बाद सुर्खियों में हैं पारस नाथ, दौड़ में नहीं था नाम; क्या गाजीपुर में खिला पाएंगे 'कमल'?

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र में मंत्री रहते हुए मनोज सिन्हा करीब 1.19 लाख वोटों से हार गए थे। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा सातों सीटें हार गई। इस हार के पीछे प्रत्याशियों को लेकर जनता में नाराजगी रही। यहीं वजह रहीं कि भाजपा की तीनों महिला विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा था।

By Shivanand Rai Edited By: Riya Pandey Published: Wed, 10 Apr 2024 11:50 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2024 11:50 PM (IST)
भाजपा से टिकट के मिलने के बाद सुर्खियों में हैं पारस नाथ

शिवानंद राय, गाजीपुर। Paras Nath Rai: इसे ही राजनीति कहते हैं। जिस पारस नाथ राय को भाजपा से टिकट मिला है, वह न तो भाजपा के किसी पद पर रहे हैं और न ही हाईकमान के कई राउंड के बाह्य व आंतरिक सर्वे में कहीं थे। हैरानी की बात तो यह है कि उनके नाम का जिक्र तक नहीं था।

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माना जा रहा है कि भाजपा के परिवारवाद में अभिनव सिन्हा का टिकट न होने पर महामहिम ने पर्दे के पीछे से इनकी पैरवी की, ताकि उनकी सियासी जमीं पर कोई दूसरा काबिज न हो। हाईकमान के फैसले से हर कोई सन्न है। वैसे पारस नाथ राय को टिकट दिलवाने का फैसला कहीं पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह भारी न पड़ जाए।

विधानसभा चुनाव में भाजपा हार गई थी सातों सीटें

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र में मंत्री रहते हुए मनोज सिन्हा करीब 1.19 लाख वोटों से हार गए थे। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा सातों सीटें हार गई। इस हार के पीछे प्रत्याशियों को लेकर जनता में नाराजगी रही। यहीं वजह रहीं कि भाजपा की तीनों महिला विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा था। तब कहा गया कि हार के पीछे वजह यह रही कि भाजपा के प्रत्याशियों का पहले से विरोध था, लेकिन जम्मू यात्रा कर आशीर्वाद प्राप्त करने की वजह से सभी टिकट पाने में सफल रहे।

तब स्थिति यह थी तत्कालीन सैदपुर से सपा विधायक सुभाष पासी का जबरदस्त विरोध था, लेकिन उन्हें भाजपा से टिकट दे दिया गया और नतीजा हार के रूप में सबके सामने आया। कुछ ऐसा ही लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी के चयन को लेकर सामने आया है।

सबसे ऊपर था  मनोज सिन्हा का नाम

पार्टी ने बाह्य व आंतरिक सर्वे कराया था। इसमें सबसे ऊपर नाम उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का था, लेकिन संवैधानिक पद पर होने के कारण उनका चुनाव लड़ना नामुमकिन था। इसके बाद पार्टी हाईकमान ने तीन पदाधिकारियों की कमेटी भेजकर संगठन के पदाधिकारियों की रायशुमारी की।

इसमें मनोज सिन्हा के स्थान पर बेटे अभिनव सिन्हा का नाम एक स्वर से लिया गया, लेकिन जानकार बताते हैं कि परिवारवाद को लेकर भाजपा-कांग्रेस में छिड़ी राजनीतिक जंग के बीच भाजपा हाईकमान अभिनव सिन्हा के नाम पर तैयार नहीं हुआ।

इस वजह से अब दूसरे की तलाश शुरू की गई, लेकिन एक बात तय थी कि जम्मू यात्रा करने वाले को ही टिकट मिलेगा। हुआ भी वही, जो पार्टी में काम नहीं किया है, उसे राजनीतिक रूप से ताकतवर अफजाल अंसारी के खिलाफ मैदान में उतार दिया गया।

इंटरनेट मीडिया पर फैसले की खूब किरकिरी

भाजपा प्रत्याशी की टिकट की घोषणा होते ही इंटरनेट मीडिया पर आमजन की प्रतिक्रिया आने लगी है। लोग धनबल व बाहुबल से ताकतवर अफजाल अंसारी के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी को लेकर तरह-तरह की नकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। यहां तक की कुछ लोग तो आज ही परिणाम की भविष्यवाणी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

कहने वाले यहां तक कह रहे हैं कि भाजपा के एक पूर्व नेता ने अफजाल अंसारी को भाई मुख्तार अंसारी की मौत के गम के बीच पारस नाथ राय को प्रत्याशी उतार कर ईद की खुशियां दी है। वहीं इंटरनेट मीडिया पर यह भी चल रहा है कि ''कौन है पारस नाथ राय, पूछता है गाजीपुर''।

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