एमआरआई की गड़बड़ी, नहीं बन पा रहा बिल
गाजीपुर एमआरआई की गड़बड़ी के चलते दस किलोवाट या उससे ऊपर के उपभोक्ताओं का बिल नहीं बन पा रहा है। दरअसल दस किलावोट के उपभोक्ताओं का बिल बनाने के लिए एमआरआई (मीटर रीडिग इंस्ट्रूमेंट) का इस्तेमाल करना पड़ता है।
जासं, गाजीपुर : एमआरआई की गड़बड़ी के चलते दस किलोवाट या उससे ऊपर के उपभोक्ताओं का बिल नहीं बन पा रहा है। दरअसल दस किलावोट के उपभोक्ताओं का बिल बनाने के लिए एमआरआई (मीटर रीडिग इंस्ट्रूमेंट) का इस्तेमाल करना पड़ता है। एमआरआई उपकरण से मीटर की रीडिग लेकर बिल बनाई जाती है लेकिन रीडिग नहीं लेने के कारण बिल नहीं बन पा रही है। इसके कारण उपभोक्ताओं को कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। बार-बार शिकायत के बावजूद अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
नगर में करीब दस किलोवाट व उससे ऊपर के उपभोक्ताओं की संख्या एक हजार के करीब है। उनका बिजली का बिल एमआरआई मशीन के जरिए बनाया जाता है। बिल बनाने के लिए नगर में आठ मीटर रीडरों की तैनाती है जो केवल दस किलोवाट व उससे ऊपर का बिल बनाते हैं। वे अपनी एमआरआई मशीन के जरिए मीटर रीडिग की कापी कर उसे विद्युत कार्यालय के कंप्यूटर में अपलोड कर देते हैं। डाटा कंप्यूटर में आते ही बिल निकाल दिया जाता है लेकिन बीते एक माह से उनका बिल नहीं बनने के कारण उपभोक्ताओं को काफी समस्या हो रही है। पूरा मामला पुरानी कंपनी के कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही साफ्टवेयर में आई गड़बड़ी का है लेकिन विभागीय अधिकारी इसे मानने को तैयार नहीं हैं। ---
18 फरवरी तक बन जाएंगे सभी बिल
अधिशासी अभियंता मीटर चंद्रपाल सिंह ने बताया कि बिल बनाने में कहीं कोई समस्या नहीं है। दरअसल पुरानी कंपनी का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो गया है। पहली फरवरी से दूसरी कंपनी ने कार्यभार संभाला है। उनको जल्द से जल्द बिल बनाने के निर्देश दिए जा चुके हैं। बताया कि 18 फरवरी तक सभी बकाया बिल बनवा दिए जाएंगे।