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नवरात्र में सातवें दिन पूजी गईं मां कालरात्रि

फोटो- 3 एवं 4सी। जासं गाजीपुर आस्था और उमंग के बीच नवरात्रि उस मुकाम की ओर है

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 05:11 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:11 PM (IST)
नवरात्र में सातवें दिन पूजी गईं मां कालरात्रि

फोटो- 3 एवं 4सी। जासं, गाजीपुर : आस्था और उमंग के बीच नवरात्रि उस मुकाम की ओर है जिसका इंतजार हर जन को रहता है। नवरात्र के सातवें दिन शुक्रवार को मां कालरात्रि पूजी गईं। सुबह से ही मां के दर्शन के लिए भक्त मंदिरों में पहुंच गए और दर्शन कर निहाल हो गए। मां के जयकारे भी खूब लगे। गहमर स्थित मां कामाख्या धाम, रेवतीपुर की भगवती माता व करीमुद्दीनपुर की कष्टहरणी भवानी मंदिर में आस्था हिलोर ले रही थी। भक्तों ने माता के दर्शन पूजन कर खुशहाली की कामना की। नगर के गोराबाजार, मिश्र बाजार, महुआबाग, लालदरवाजा, नवाबगंज, चीतनाथ आदि देवी मंदिरों में भक्तों की सुबह से ही भीड़ लगी रही। लोगों ने दर्शन पूजन कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। नवरात्र का दिन बीतने के साथ मंदिरों में भक्तों की भीड़ बढ़ रही है।

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मां कालरात्रि की पूजा करके प्राप्त किया आशीर्वाद गहमर : या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। नवरात्र के सातवें दिन श्रद्धालुओं ने आदिशक्ति मां कामाख्या देवी के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की। श्रद्धालुओं ने मां को नारियल व चुनरी चढ़ाकर आरती की और धर्म, अर्थ व मोक्ष का मार्ग सहज बनाने व संतान की उन्नति के लिए मां कालरात्रि की पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रद्धालुओं ने कमल के फूलों से मां का पूजन किया। सप्तमी के दिन शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने व्रत किया, ताकि अष्टमी पर शनिवार को कन्या पूजन करके अपने नवरात्रों को पूर्ण कर सकें। दस महाविद्याओं में माता काली को प्रथम स्थान प्राप्त मंदिरों में घंटे-घड़ियालों की आवाज से भक्तिमय वातावरण गुंजायमान रहा। कामाख्या धाम मंदिर के पीठाधीश्वर महंत आकाश राज तिवारी ने कहा कि मां कालरात्रि का स्वरूप विकराल है, लेकिन यह रूप शुभ फल देने वाला है। शत्रुओं का विनाश करने के कारण ही मां का नाम कालरात्रि पड़ा। मां का रूप रंग काला है। उनकी नाक श्वांस से भंयकर अग्नि निकलती है। गले में चमकती माला है और मां का त्रिनेत्र रूपी स्वरूप है। मां की पूजा करने से भूत प्रेत राक्षस दानव आदि भाग जाते हैं। मां दुष्टों का सर्वनाश करती हैं। दस महाविद्याओं में माता काली को प्रथम स्थान प्राप्त है। ये भक्तों पर बहुत जल्दी कृपा करती हैं। चंड-मुंड से युद्ध करते हुए अंबिका को अत्यंत क्रोध के कारण इनका मुखमंडल काला हो गया था, ललाट पर भौंहे टेढ़ी हो गयी, उस क्षण काली का प्रादुर्भाव हुआ। कालरात्रि की पूजा रात्रिकाल में करने से विशेष फल प्राप्त होता है।


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