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कलयुग के प्रत्यक्ष देव हैं भगवान शिव शंकर

मनिहारी (गाजीपुर) आजाद ज्योति क्लब मनिहारी की ओर से आठ दिवसीय संगीतमय श्रीमछ्वागवत सत्संग ज्ञान यज्ञ एवं महारुद्राभिषेक के पांचवें दिन गुरुवार की शाम हरिद्वार से आए महंत लालजी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के रासलीला का विस्तार से वर्णन किया। झांकी में भगवान श्रीकृष्ण व राधा का दर्शन कर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Jan 2020 08:19 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 06:06 AM (IST)
कलयुग के प्रत्यक्ष देव हैं भगवान शिव शंकर
कलयुग के प्रत्यक्ष देव हैं भगवान शिव शंकर

जासं, मनिहारी (गाजीपुर) : आजाद ज्योति क्लब मनिहारी की ओर से आठ दिवसीय संगीतमय श्रीमदभागवत सत्संग ज्ञान यज्ञ एवं महारुद्राभिषेक के पांचवें दिन गुरुवार की शाम हरिद्वार से आए महंत लालजी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के रासलीला का विस्तार से वर्णन किया। झांकी में भगवान श्रीकृष्ण व राधा का दर्शन कर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। दोपहर में महारुद्राभिषेक हुआ। इसमें आसपास के गांवों से आए श्रद्धालुओं ने जीवन को धन्य किया। भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

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रुद्राभिषेक में स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि भगवान शिव कलयुग के प्रत्यक्ष देव हैं। शिव के पूजन से मनुष्य की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उन्होंने आगे कहा कि जल चढ़ाने से यमलोक से उबार लेते हैं। भगवान की कथा सुनने मात्र से ही जीव के कष्ट दूर हो जाते हैं। भगवान का स्मरण से ही कल्याण होगा। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि अभय प्रताप सिंह, विपिन सिंह, सुमित सिंह, उमेंद्र सिंह, अवधेश सिंह, मिथिलेश सिंह, भोलू सिंह, टुनटुन वर्मा, नंदकिशोर सिंह, सुधाकर सिंह आदि थे।

-------- धर्म से बढ़ाई जा सकती है पुण्य की पूंजी

खानपुर : क्षेत्र के तरायें में सात दिवसीय भागवत कथा के छठवें दिन आचार्य शिवराम महाराज ने कहा कि धर्म से पुण्य की पूंजी बढ़ाई जा सकती है। निर्मल और पवित्र मन से भक्ति करने से भगवान के चरणों में स्थान मिलता है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए केवल श्रद्धा समर्पण की आवश्यकता है। आयोजक सियाराम तिवारी व संयोजक बद्री तिवारी अपने पिता स्व. पंडित जगदीश तिवारी की स्मृति में प्रतिवर्ष पंद्रह गरीब कन्याओं का विवाह और अनाथ लोगों का शवदाह कराने का संकल्प लिया। मलसा : देवरिया ग्राम स्थित शिव मंदिर पर श्रीरामकथा में सुखेन महाराज ने कहा कि देवताओं की श्रेष्ठता सर्वमान्य है। मृत्युलोक में निवास करने वाले मनुष्य की महत्ता भी कम नहीं है। साधना, त्याग और तपस्या के बल पर यहां के भक्त, संत और देवियों ने श्रेष्ठता प्राप्त किया है। चंद्रेश महाराज, कीर्तन सम्राट शिवजी, बुच्चा यादव, संत विश्राम दास ने भी कथा अमृत पान कराया। संचालन पंकज यादव ने किया।


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