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घरेलू राखियों से सजेंगी अबकी भाइयों की कलाइयां

जागरण संवाददाता खानपुर (गाजीपुर) चाइनीज सामानों के बहिष्कार के बीच बहनों ने भाइयों के

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 10:53 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 06:07 AM (IST)
घरेलू राखियों से सजेंगी अबकी भाइयों की कलाइयां

जागरण संवाददाता, खानपुर (गाजीपुर) : चाइनीज सामानों के बहिष्कार के बीच बहनों ने भाइयों के लिए न सिर्फ श्रृंगार के सामानों से घरेलू राखियों की अद्भूत कतार खड़ी की है। यह कोरोना काल में संक्रमण से बचाव भी करेगा। इतना ही नहीं, इनकी सुंदरता औरों को मात भी दे रही है। खानपुर की रुचि सिंह घर की प्रज्ञा सहित आसपास की दर्जनों युवतियों को अपने हुनर से आत्मनिर्भर बना चुकी हैं।

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रुचि सिंह को शुरू से ही सजावटी समानों को बनाने का शौक था। स्कूली शिक्षा के दौरान उन्होंने इस पर खूब काम भी किया। शादी के बाद से वह घर-गृहस्थी के काम और जिम्मेदारी से फुर्सत न मिली। कोरोना काल में स्वदेशी की पुकार ने उन्हें झकझोरा और महज एक माह में वह दर्जनों लोगों को अपने हुनर से भाइयों के लिए स्वदेशी राखी का ²ढ़ निश्चय किया। अब तक बड़ी संख्या में इस तरह की राखियां तैयार हो चुकी हैं। वह बताती हैं कि रुद्राक्ष, ऊन, रक्षा, धागा, भोजपत्र, अनाज, मेवा और घरेलू सजावटी सामानों आदि से राखियां तैयार कर अपने भाइयों के हाथों पर बांधी जाएगी। मौली, सितारा और मेवा, चंदन की लकड़ी, चावल, नवग्रह की लकड़ी से भी कई प्रकार के राखियों को बनाने की तैयारी है। अन्य युवतियों का कहना है कि भाइयों से अपने रक्षा का बचन लेते समय हमलोग भी उन्हें संक्रमण मुक्त और सुरक्षित रखने के लिए घर में उपलब्ध औषधीय या श्रृंगारात्मक सामानों से बने राखी बाधेंगे। व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी कई महिलाएं कुटीर उद्योग के तौर पर भी अपने आमदनी के लिए सितारा, मोती, चमकीले पन्नी, छोटे छोटे खिलौने और फोम के साथ राखी बनाकर दुकानों में सप्लाई करतीं हैं। धार्मिक संस्कारों में राखी में दुर्वा, चंदन, अक्षत (चावल), केसर और सरसों का बहुत महत्व होता है। कच्चे सूत से बांधा गया रक्षासूत्र से अपने कुशलता की कामना की जाती है। इसे कोई भी व्यक्ति अपने से सक्षम व्यक्ति, नेता, अधिकारी, सदस्य, गुरु, जजमान को बांधकर कर अपनी सुरक्षा का वचन ले सकता है।

बालकृष्ण पाठक, आचार्य।


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