शांति का संदेश दे गए इमाम हुसैन
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में माह-ए मोहर्रम में मजलिसों का सि
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में माह-ए मोहर्रम में मजलिसों का सिलसिला बना हुआ है। मजलिसों के बाद देर रात ताबूत, दुलदुल एवं अलम के जुलूस निकाले जा रहे हैं। इसमें स्थानीय समेत बाहर से आई अंजुमने शिरकत कर रहीं हैं।
मोहर्रम की सातवीं तारीख पर मंगलवार को नगर के मिश्र बाजार स्थित बड़ा इमामबाड़ा परिसर में मेला का आयोजन किया गया। इसमें सुन्नी समुदाय के महिला, पुरुष एवं बच्चों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर लोगों ने इमामबाड़ा में जाकर अपनी मन्नतें मांगी। मेला में बच्चों ने खिलौने खरीदे। नोनहरा क्षेत्र के हुसैनपुर गांव में खुर्शीद गाजीपुरी के इमामबाड़े में मजलिस का आयोजन हुआ जिसे मौलाना सैय्यद परवेज कमाल ने खिताब फरमाया। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन (अ.) ने दुनिया को शांति और भाईचारे का संदेश दिया। अंत में मौलाना ने अली अकबर की शहादत बयान की। इसे सुनकर सभी की आंखें भर आई। इस मौके पर कायम हुसैनपुरी, नसीम हैदर, जाहिद हुसैन, मोनिस रजा, उर्फी रिजवी, जफर अब्बास, समर, अहमद एवं नज्मी थे। इसके बाद वकील अहमद के इमामबाड़े में मजलिस का आयोजन हुआ। मजलिस समाप्त होने के बाद तत्काल दुलदुल का जुलूस निकाला गया जो गांव में ही इमामबाड़ा में जाकर अगले वर्ष तक के लिए बढ़ा दिया गया। 50 फूट की ताजिया
दुबिहां : उतरांव गांव में अलग अलग छह चौकों पर रखी जाने वाली सबसे ऊंची ताजिया बनाने का काम तेजी से चल रहा है। ऊंची ताजिया एकता का प्रतीक मानी जाती है। ताजिया मिलन के दिन हिन्दू मुस्लिम भाईचारे के साथ अपनी कला का प्रदर्शन भी करते हैं। उतरांव गांव की सबसे ऊंची ताजिया व भाईचारे की भावना क्षेत्र के लिए एक मिसाल है। उतरांव बाजार स्थित कदम रसूल चौक की ताजिया की ऊंचाई 50 फीट होती है। दूसरे नंबर पर जलील चौक, तीसरे नंबर पर निजामुद्दीन चौक, चौथे नम्बर पर जब्बार चौक, पांचवें नम्बर पर कुदुस चौक एवं छठवें नम्बर पर नुरूद्दीन चौक पर रखी जाती है। कारीगर एहसान अंसारी, मुबारक अंसारी, अफजाल अंसारी, वकील अंसारी, कुदुस अंसारी, नूरुद्दीन अंसारी, डा.असलम अंसारी, सरफराज अंसारी व गुलाब उर्फ लखीचंद सेठ आदि लोग एक माह से ताजिया बनाने में लगे हुए हैं। लाखों रुपये की लागत से बनने वाली ताजिया को बनाने में लगे कलाकारों ने बताया कि अब समय बिल्कुल करीब आ जाने से अब वह रात दिन जी जान से निर्माण में जुटे हुए हैं।