सरकार कुछ करे नहीं तो बर्बाद हो जाएंगे किसान
जासं गाजीपुर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए गोवंश आश्रय स्थल बेमतलब साबित हो रहे हैं। टैगिग किए गए पशु सड़कों पर घूम रहे हैं। आश्रय स्थलों पर पशुओं के देखभाल की उचित व्यवस्था नहीं है। सार्वजनिक स्थल सब्जी मंडी के अलावा हाईवे पर बेसहारा पशु बैठे रहते हैं। इसके चलते हादसे हो रहे हैं। वहीं फसलों के बर्बाद होने से किसान परेशान हैं। इसे लेकर आमजन सहित किसानों में आक्रोश पनप रहा है।
जासं, गाजीपुर : नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए गोवंश आश्रय स्थल बेमतलब साबित हो रहे हैं। आलम यह है कि टैगिग किए गए पशु सड़कों पर घूम रहे हैं। आश्रय स्थलों पर पशुओं के देखभाल की उचित व्यवस्था नहीं है। सार्वजनिक स्थल, सब्जी मंडी के अलावा हाईवे पर बेसहारा पशु बैठे रहते हैं। इसके चलते हादसे हो रहे हैं। वहीं फसलों के बर्बाद होने से किसान परेशान हैं। इसे लेकर आमजन सहित किसानों में आक्रोश पनप रहा है।
दुल्लहपुर : बेसहारा पशुओं के चलते किसानों को रात में फसलों की रखवाली करनी पड़ रही है। जिम्मेदार अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। इससे किसानों की चिता बढ़ती जा रही है। जलालाबाद पुरानी सब्जी मंडी में बने अस्थाई पशु आश्रय केंद्र में 90 पशुओं को रखने की क्षमता है। यहां पर 110 पशु रखे गए हैं। मनिहारी ब्लाक के सिखड़ी में छह माह पूर्व बनने वाले पशु आश्रय केंद्र की अभी तक शुरुआत भी नहीं हुई है। एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कह रही है लेकिन उसके पीछे अधिकारियों की मंशा कुछ और ही है। अधिकारी सरकार के आदेश पर अमल नहीं हो रहे हैं। किसानों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के पहले ठोस कदम उठाते हुए क्षेत्र से बेसहारा पशुओं को हटवा दिया गया था। अब झुंड बनाकर फसलों को नुकसान कर रहे हैं। रात में सड़कों पर बैठ जा रहे हैं। इससे दुर्घटनाएं भी बढ़ गई हैं। बाइक सवार अक्सर रात के समय घायल हो रहे हैं। प्रदेश सरकार को इसके लिए ठोस उपाय करना होगा अन्यथा किसान बर्बाद हो जाएंगे।
आश्रय स्थल से भाग जाते हैं पशु
भांवरकोल : क्षेत्र में गोवंश आश्रय स्थलों पर बेसहारा पशुओं के रखरखाव व खानपान की उचित व्यवस्था नहीं है। ब्लाक मुख्यालय स्थित अस्थाई निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल से निकल कर पशु भाग जाते हैं। मुख्यालय से सटे राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर इधर-उधर घूमते रहते हैं। बड़े वाहनों से टकराकर घायल हो जाते हैं और कुछ दिन के बाद उनकी मौत हो जाती है। चर्चा है कि आश्रय स्थलों पर सभी पशुओं का पंजीकरण व टैग नहीं लगाया जाता है। पशुओं को पकड़कर लाने वाले लोग ब्लाक परिसर में छोड़कर चले जाते हैं। कभी-कभी तो टैग लगे गोवंश भी बाहर निकलकर आश्रयस्थल की व्यवस्था का स्वयं प्रमाण बन जाते हैं। इधर, पशु चिकित्साधिकारी डा. सचिन कुमार सिंह ने बताया कि पशुओं को लाने वाले लोग गेट के बाहर ही छोड़कर चले जाते हैं। पशुओं का पंजीकरण कर टैग लगाया जाता है।