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ओलावृष्टि ने फसलों का पहुंचाया भारी नुकसान, लौटी ठंड

गाजीपुर जिले में अचानक मंगलवार की भोर में करीब चार बजे गरज-तड़क के साथ बूंदाबांदी के साथ होने वाली ओलावृष्टि ने लोगों को ठिठ़ुरा दिया। ओला गिरने से चना एवं मसूर की फसलों के साथ आम के बौर को काफी नुकसान हुआ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 05:25 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 12:15 AM (IST)
ओलावृष्टि ने फसलों का पहुंचाया भारी नुकसान, लौटी ठंड
ओलावृष्टि ने फसलों का पहुंचाया भारी नुकसान, लौटी ठंड

जासं, गाजीपुर : जिले में अचानक मंगलवार की भोर में करीब चार बजे गरज-तड़क के बीच बूंदाबांदी के साथ होने वाली ओलावृष्टि ने फसलों को काफी क्षति पहुंचाया है। चना एवं मसूर की फसलों के साथ आम के बौर को काफी नुकसान हुआ। वहीं तेज हवाओं के चलने से गेहूं एवं सरसों की फसलें खेतों में पसर गई। कुछ जगहों पर बारिश का सिलसिला देर तक होने से नगर में जगह-जगह जलजमाव हो गया जिसके चलते लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ा। उधर, बारिश होने से भट्ठों पर रखी गईं कच्ची ईटें भीग कर बर्बाद हो गईं। इसके चलते भठ्ठा संचालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा।

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सोमवार को पूरे दिन आसमान पर बादलों का डेरा जमा रहा। रात में बादल घने हो गए और भोर में अचानक गरज-तड़क के साथ बारिश शुरू हो गई। साथ ही ओलावृष्टि होने लगी। बरसात के साथ गिरने वाले ओले की साइज लगभग एक इंच से दो इंच व्यास तक रही। बारिश होने के कारण सुबह टहलने निकले लोगों के पांव ठिठक गये। करीब बीस मिनट तक चली ओलावृष्टि में जमीन पर सफेद गोलियों की लड़ी बिछ गई। इससे किसानों की चिता बढ़ गई। फसल को भारी नुकसान हुआ है। बूंदाबांदी के साथ तेज हवाएं भी फसल के लिए नुकसानदायक साबित हुई। बारिश के बाद मौसम पूरी तरह ठंडा हो गया है। तापमान में गिरावट दर्ज की गई और न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। उधर, दोपहर बाद निकली धूप ने लोगों को काफी राहत दी। मुहम्मदाबाद : भोर में हल्का बूंदाबांदी होने से सड़क पर टहलने वाले लोगों को व्यवधान हुआ। मौसम खराब होते देख किसानों के चेहरों पर चिता की लकीरें नजर आने लगी। कुछ देर बार मौसम साफ होने से लोगों ने राहत की सांस ली। गहमर : क्षेत्र के किसान हरेराम, त्रिजोगी, अशोक, विजय, गुड्डू, पीयूष, हरिहर, जावेद आदि का कहना है कि रुक-रुक कर हो रहे मौसम में बदलाव के कारण किसानों के बीच खेती में समस्या बन जा रही है जिसके चलते किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों ने कहा कि लगातार दो-तीन माह से हो रहे मौसम में बदलाव के कारण किसानो को अपने खेती को बेहतर करने मे काफी मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं जिसके चलते तिलहन व दलहन फसल नुकसान होने व गेहूं की फसल बेहतर होने की उम्मीद बढ़ी है। सैदपुर : ओलावृष्टि से ज्यादा नुकसान दरवेपुर और मौधा क्षेत्र में हुआ है। कई सीमेंटेड छतों में टूटफूट होने और मड़ई गिरने से लोग परेशान रहे। ग्रामीण इलाकों में घर के बाहर बंधे पालतू पशुओं के चोटिल होने से पशु पालकों की चिता बढ़ गयी। खानपुर, तेतारपुर, करमपुर, मौधा, सिधौना, बेलहरी, सौना आदि गांवो में जमकर ओलावृष्टि भी हुई। मार्च के शुरुआत में फसल की कटाई होनी है, लेकिन इससे पहले ही तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि किसानों की फसल को नष्ट कर दिया है। बहरियाबाद : रबी के फसल एवं सब्जी इत्यादि के फसल को नुकसान होने की संभावना किसानों द्वारा जताई गई है। खानपुर: बारिश और ओलावृष्टि की मार सबसे ज्यादा नसीरूद्दीनपुर गांव में पड़ी है। भारी ओलावृष्टि में पेड़ों के पत्ते झड़ गये और खेतों में खड़ी फसलों की बालियां टूटकर गिर गई। दोपहर बारह बजे तक खेतों के किनारे चार इंच मोटी बर्फ की परत जमी हुयी थी। गांव के बुजुर्ग किसान बैजनाथ पाल ने कहा कि अस्सी वर्ष की अवस्था में इस तरह की बर्फबारी नही देखी थी। दो किलोमीटर के दायरे में भारी बर्फबारी से खुले में बांधे गये दर्जनों पशु घायल हो गये। छोटे बछड़ों और भेड़ बकरियों के घायल होने की संख्या दर्जनों में हैं। जानवरों को बचाने और भागदौड़ में कई महिला पुरुष चोटिल हो गये। कुछ परीक्षार्थी सुबह बाइक से परीक्षा देने जा रहे सड़क पर फिसलकर घायल हो गये। सरपत की मड़ई में बड़े बड़े गोले गिरने से छेद हो गये और सीमेंटेड छतों में भारी टूटफूट भी हुई है। निशा यादव ने बताया कि लहसुन प्याज सरसों अरहर आलू जैसे फसलों को भारी नुकसान हुआ है। ---

बारिश व हवा से गेहूं की फसल खेतों में पसरा

दुबिहा : इलाके में हुई बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान ईट-भट्ठा संचालकों को उठाना पड़ा। अचानक खराब हुए मौसम के चलते तैयार कर रखी गई कच्ची ईंटें बारिश से भीग गईं। इस वर्ष कई बार बीच-बीच में बारिश हो जाने से अब तक भट्ठों को फूंकने का कार्य शुरू नहीं हो सका है। मौसम की खराबी के चलते भट्ठों को फूंकने में करीब एक माह का विलंब होने की आशंका जताई जा रही है।

------- चना, मसूर एवं सरसों को नुकसान का खतरा

- कृषि विज्ञान केंद्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. ओमकार सिंह ने बताया कि ओलावृष्टि से सबसे अधिक चना, मसूर एवं सरसों को नुकसान होने का खतरा है। 30 डिग्री सेल्सियस से तापमान कम होने और हवा में नमी होने पर मटर में पाउड्री मिल्डू नामक रोग होने का खतरा हो जाता है। इसके लिए मौसम साफ होने पर रोगनाशक दवा का छिड़काव कर सकते हैं। --- किसान बोले ...

फोटो- 27सी

-इस ओलावृष्टि से चना, सरसों के फसलों को भारी नुकसान हुआ है। भोर में आई अचानक ओलावृष्टि होने से फसलों का बचाने का वक्त नहीं मिला।-

राधे यादव, बहेरी।

--- फोटो- 28सी

-फरवरी महीने में बर्फबारी के बारे में किसानों ने कभी सोचा भी नही था इसलिए घुमंतू पशुओं के बाद प्राकृतिक दोहरी मार से हमलोगों की फसल बर्बाद हो हो गई। - रामनगीना सिंह, गौरहट। ----- फोटो- 29सी

- तैयार रहर, चना, सरसों की बालियां बर्फ के गोलियों से गिरकर टूट गई हैं और गेंहू की उभर रही बालियों में काफी नुकसान पहुंचा है। प्याज, लहसुन, आलू में पाले का असर आगे दिखेगा।

- शिवाजी मिश्रा, सिधौना।

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फोटो- 30सी

-गिरे ओला से खड़ी फसलों को जो नुकसान हुआ है उसका असर आगे चलकर पाला के रूप में मिलेगा। इस वर्ष किसानों को चौतरफा नुकसान उठाना पड़ा है। दलहन तिलहन के साथ अन्य फसल भी बर्बाद हुए है।

- प्रदीप राम, बभनौली।

--- फोटो- 31सी

भारी बारिश हुई है। बारिश से किसानों को लाभ मिला है। गेहूं की फसल के लिए बारिश संजीवनी है। हां, बर्फबारी से चना की फसलों को आंशिक नुकसान पहुंचेगा।

- कृपाशंकर सिंह, किसान, मीरपुर, तिरवाह।


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