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खजाना भरने को अंग्रेजों ने शुरू कराई नील व अफीम की खेती

जितेंद्र यादव गाजीपुर : जिले में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह क्यों भड़का, यह आज भी

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 09:55 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 09:55 PM (IST)
खजाना भरने को अंग्रेजों ने शुरू कराई नील व अफीम की खेती
खजाना भरने को अंग्रेजों ने शुरू कराई नील व अफीम की खेती

जितेंद्र यादव गाजीपुर : जिले में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह क्यों भड़का, यह आज भी प्रासंगिक है। इसका जवाब हर किसी के पास अलग-अलग है। सबसे पहले इसी मुद्दे को स्पष्ट करना होगा। अंग्रेजों ने 1818 में गाजीपुर नगर को जिला बनाने की घोषणा की। फिर इसकी सीमा निर्धारित की गई और राबर्ट बारलो को यहां का पहला कलेक्टर बनाया गया। इसके साथ ही जगह-जगह पुलिस चौकियों की स्थापना हुई। गाजीपुर को जिला घोषित करने के बाद अंग्रेजों का पहला लक्ष्य शासकीय खजाना भरना था। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्होंने जिले में नील और अफीम की खेती शुरू करा दी। इस खेती से जब सरकारी खजाना भरने लगा तब अंग्रेजी हुकूमत ने जनता पर दमनकारी चक्र चलाना शुरू कर दिया। इससे जिले के किसान, ग्रामीण, मजदूर व व्यापारी परेशान होने लगे। परिणाम स्वरूप जिले के लोग अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजाने के अवसर की तलाश में लग गए। संयोग से उसी समय बलिया जो पूर्व में गाजीपुर जिले की एक तहसील थी के एक सिपाही मंगल पांडेय ने बैरिकपुर फौजी छावनी में चर्बी से बने कारतूस के उपयोग से भड़ककर अपनी राइफल से कई अंग्रेज अफसरों को गोली से भून डाला। मंगल पांडेय की गोली से मृत कई अंग्रेज अफसरों की घटना ने जिले के लोगों में क्रांति की लौ फूंक दी। फिर क्या, देखते ही देखते अंग्रेजों के खिलाफ लोग लामबंद होते गए। रातों-रात हजारों की संख्या में क्रांतिकारी सड़क पर आ गए। इस बीच अंग्रेजी हुकूमत ने मंगल पांडेय पर मुकदमा चलाकर उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया। इस वीर क्रांतिकारी की फांसी के फौरन बाद ही बलिया और गाजीपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति की लहर देखते ही देखते गांव तक फैल गई। क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के नील गोदामों, फसलों एवं कोठियों पर धावा बोल दिया। चौरा गांव के लोगों ने एक अंग्रेजी काश्तकार को भी मार डाला। अंग्रेजों ने भी ताकत का भरपूर उपयोग कर आंदोलन को दबाने की कोशिश की। अंग्रेजी हुकूमत ने लोगों की धर पकड़ शुरू कर दी। सैकड़ों लोग जेल में डाल दिए गए और कई लोगों को कठोर यातना दी गई। प्रगति के पथ पर सरपट दौड़ रहे देश को आजादी दिलाने में जिले के क्रांतिकारियों की शहादत आज भी लोगों के यादों में ¨जदा है। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले क्रांतिकारियों की वीरता, त्याग और बलिदान की गाथा सुनकर लोगों का दिल दहल उठता है। अपने परिवार व जान का मोह छोड़ कर क्रांतिकारियों ने आजादी का बिगुल फूंका था। हर वर्ष जब अगस्त का महीना आते ही लोगों के जेहन में 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन व अगस्त क्रांति तैरने लगती है। आजादी की लड़ाई में शहीद होने वाले वीर सपूतों को याद कर लोग नतमस्तक होते हैं।

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