मृदा परीक्षण के लाभ से अंजान हैं किसान ,उठा रहे नुकसान
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : किसानों के साथ धोखा हो यह कोई नई बात नहीं है। बीज, उवर
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : किसानों के साथ धोखा हो यह कोई नई बात नहीं है। बीज, उवर्रक जैसी आवश्यक जरूरतों में भी किसान प्रत्येक सीजन में धोखा खाते हैं कभी सरकारी स्तर पर तो कभी बाजार से। मृदा परीक्षण के नाम पर भी यह धोखा उनके साथ वर्षों से चल रहा है। दो वर्ष में जनपद के चार लाख से अधिक किसानों के मृदा का परीक्षण कर लिया गया। वह भी केवल चार मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के सहारे। कर्मचारी भी नहीं हैं और किसानों के मिट्टी के नमूने भी आ गए और उनका परीक्षण कर रिपोर्ट भी दे दी गई।
जिला मुख्यालय पर बंशी बाजार में स्थित लैब में मौजूद कर्मचारी कागज पत्र दुरुस्त करते दिखे। जाहिर है यही कागज पत्र ही उनकी नौकरी है। जनपद में सात तहसीलें हैं और प्रयोगशाला केवल चार। यह संख्या और उपलब्धता ऊंट के मुंह में जीरा के सामान है।
जमानियां: धान का कटोरा कहे जाने वाली इस तहसील में मिट्टी के नमूने की जांच करने के नाम पर किसानों के साथ खेल हो रहा है। बरुईन स्थित भूमि परीक्षण प्रयोगशाला पर स्टाफ की कमी से प्राइवेट कर्मी रखकर मृदा परीक्षण करवाया जा रहा है। किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भरकर दिया जाता है। इससे स्पष्ट है कि सब कुछ कागजों में ही हो रहा है। भूमि परीक्षण प्रयोगशाला बरुईन जमानियां उप संभाग में तीन ब्लाक आते हैं। इसमें जमानियां, भदौरा और रेवतीपुर हैं। संभाग के तीनों ब्लाक मिलाकर 55हजार 8 किसान पंजीकृत हैं। इनमें एक वर्ष में 9168 नमूने परीक्षण हेतु लिए गए हैं। इसमें से गहरपुरा में 48 किसानों तथा दौदही में 64 किसानों को एक सप्ताह पूर्व मृदा हेल्थ कार्ड दिया गया है। शेष किसानों को कार्ड अभी देना है क्योंकि कार्ड अभी छप रहा है। लैब की क्षमता 10 हजार ग्रिड है। सामान्य का बरुईन प्रयोगशाला में मिट्टी का परीक्षण होता है जबकि सूक्ष्म तत्व का जिला मुख्यालय पर होता है। नमूने की जांच का रिपोर्ट फील्ड वर्कर देते हैं। वह अपने अपने क्षेत्रों में से मिट्टी लाते हैं। भांवरकोल : मुहम्मदाबाद तहसील के किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच हेतु कुण्डेसर स्थित कृषिभवन में एक प्रयोगशाला स्थापित की गई है । वर्ष 2017-18 में लक्ष्य के अनरूप 613 राजस्व ग्रामों के किसानों से कुल 9859 मिट्टी के नमूने लिए गये लेकिन औपचारिकता पूरी न होने के कारण अभी तक सम्बन्धित किसानों को मिट्टी हेल्थ कार्ड नहीं मिल सका है। इसकी जानकारी देते हुए प्रभारी भूमि परीक्षण प्रयोगशाला झुन्नू पाण्डेय ने बताया कि लक्ष्य के अनुरूप कुल 9859 मिट्टी के नमूने जांच के बाद रिपोर्ट फि¨डग करने एवं मिट्टी हेल्थ कार्ड बनाने हेतु जिला मुख्यालय स्थित एक कम्पनी के निजी कम्प्यूटर संचालक को दिया गया है। बताया कि आगामी 23, 24 मार्च को अभियान चलाकर मिट्टी हेल्थ कार्ड को सम्बन्धित किसानों को वितरित करना है। हरहाल में यह कार्य आगामी 31 मार्च तक पूरा हो जाना चाहिए लेकिन अभी तक उक्त फि¨डग केन्द्र से कार्ड मिले ही नहीं हैं । किसानों को नहीं है मिट्टी जांच के प्रक्रिया की जानकारी
अवथहीं के दयाशंकर मिश्र , तरांव के अभयनारायण राय, तरका के रामबचन राय, रानीपुर केशाहिद हुसैन ने बताया कि मिट्टी की जांच कराई जानी चाहिए यह जानकारी तो दी जाती है लेकिन इसकी प्रक्रिया क्या है और प्रयोगशाला कहां है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या होता है इसे तो हमने आज तक देखा ही नहीं है। विभाग वाले कभी इसके लिए संपर्क भी नहीं किए। दौदही के किसान पूर्व प्रमुख दयाशंकर यादव, प्रदीप यादव, चंद्रमा, रामधीरज आदि किसानों ने बताया कि हम लोगों को कोई मृदा हेल्थ कार्ड नहीं मिला है।
झूठे आंकड़ों से नहीं होगा भला
मिट्टी के स्वस्थ रहने से ही लोग स्वस्थ रहेंगे और हमारे किसान खुशहाल होंगे। झूठे आंकड़ों और हवाबाजी से कुछ नहीं होता। पीजी कालेज स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा परीक्षण लैब के लिए एक वर्ष में 3 हजार मृदा परीक्षण का लक्ष्य रखा गया है। 12 सौ किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड वितरित किया जा चुका है। हमारे जिम्मे ही असंभव लक्ष्य दे दिया जाएगा तो कैसे पूरा करेंगे। फिर न तो हमारे ऊपर किसान विश्वास करेंगे और न ही उसका कोई फायदा किसी को मिलेगा। हमारे एक लैब के लिए तीन हजार का लक्ष्य मिला तो उसके आधे को हम अभी पूरा कर पाए हैं। इससे अधिक हम और क्या कह सकते हैं।
-डा. दिनेश ¨सह, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कालेज।