फसल अवशेष जलाने को किसान विवश
प्रशासन जहां पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए पराली जलाने से मना कर रहा है वहीं बाढ़ प्रभावित खेतों में सड़े फसलों को जलाने के लिए किसान विवश हैं ताकि खेत की बोआई हो सके। पटना शादीभादी कुसहीं कूढालंबी उचौरी खरौना नुरुद्दीनपुर गौरी आदि क्षेत्र के दर्जनों बाढ़ प्रभावित गांव के सैकड़ों बीघे खेतों में ज्वार बाजरा अरहर मकई तिल की फसल पानी में लगातार डूबे रहने से सड़ चुकी है। रबी की फसल के लिए खेतों को तैयार करने के लिए किसान इन सूखे सड़े फसलों को जलाकर नष्ट करने को विवश हैं। प्रशासनिक रोक के बावजूद किसान खेतों में अवशेष फसलों को जला रहे हैं। नेवादा के किसान नगीना सिंह कहते हैं कि पिछली खरीफ और तिलहन की फसल के बर्बाद होने से रबी की खेती जल्दी नहीं किया जाएगा तो भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे। खेतों में सड़े फसलों को जलाकर खाद और खाली करने के लिए ऐसा करना पड़ रहा है।
जासं, खानपुर (गाजीपुर) : प्रशासन जहां पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए पराली जलाने से मना कर रहा है वहीं बाढ़ प्रभावित खेतों में सड़े फसलों को जलाने के लिए किसान विवश हैं ताकि खेत की बोआई हो सके। पटना, शादीभादी, कुसहीं, कूढालंबी, उचौरी, खरौना, नुरुद्दीनपुर, गौरी आदि क्षेत्र के दर्जनों बाढ़ प्रभावित गांव के सैकड़ों बीघे खेतों में ज्वार, बाजरा, अरहर, मकई, तिल की फसल पानी में लगातार डूबे रहने से सड़ चुकी है। रबी की फसल के लिए खेतों को तैयार करने के लिए किसान इन सूखे सड़े फसलों को जलाकर नष्ट करने को विवश हैं। प्रशासनिक रोक के बावजूद किसान खेतों में अवशेष फसलों को जला रहे हैं। नेवादा के किसान नगीना सिंह कहते हैं कि पिछली खरीफ और तिलहन की फसल के बर्बाद होने से रबी की खेती जल्दी नहीं हुई तो वे भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे। खेतों में सड़े फसलों को जलाकर खाद और खाली करने के लिए ऐसा करना पड़ रहा है।