बुजुर्गों के पास होता है ज्यादा अनुभव
क्षेत्र के ढढ़नी गांव स्थित महावीर मंदिर परिसर में त्रिदिवसीय हनुमान जयंती महोत्सव के समापन पर श्रीरामकथा सुनाते हुए पंड़ित चंद्रेश महाराज ने कहा कि आजकल के युवा वर्ग को हनुमानजी के जीवन चरित्र से शिक्षा लेनी चाहिए। महाबलशाली, बुद्धिमान और सर्वगुण संपन्न होते हुए भी हनुमानजी अपने से बुजुर्ग जामवंत जी से सलाह लेते थे।
जासं, मलसा (गाजीपुर) : क्षेत्र के ढढ़नी गांव स्थित महावीर मंदिर परिसर में त्रिदिवसीय हनुमान जयंती महोत्सव के समापन पर श्रीरामकथा सुनाते हुए पंडित चंद्रेश महाराज ने कहा कि आजकल के युवा वर्ग को हनुमानजी के जीवन चरित्र से शिक्षा लेनी चाहिए। महाबलशाली, बुद्धिमान और सर्वगुण संपन्न होते हुए भी हनुमानजी अपने से बुजुर्ग जामवंत जी से सलाह लेते थे। बुजुर्गों के पास जीवन का अनुभव अधिक होता है।
उन्होंने कहा कि हनुमानजी से आज के कथावाचकों को भी सीखना चाहिए। कथावाचक भगवान की लीला और वाणी से निकले संदेशों को ही प्रमुखता से लोगों में पहुंचाने का कार्य करें। हनुमान जी सीता माता को जब रामकथा सुना रहे थे, तो खुद पेड़ के पत्तों में छिपकर बैठे है लेकिन कथा इतनी सुंदर थी कि सुनकर सीता जी का दुख दूर हो गया। हनुमान जयंती के अवसर पर श्रद्धालुओं को प्रसाद भी वितरित किया गया। इस अवसर पर र¨वद्र नाथ राय, बचानी राय, रमाकांत तिवारी, नर¨सह यादव व संजय राय थे।