असहाय हो गया है जिला अस्पताल प्रशासन
- किसी तरह लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करा रहे जिम्मेदार अधिकारी - वर्षों से चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा अस्पताल - इसी का फायदा उठा रहे हैं यहां के कुछ चिकित्सक
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : जिला अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से असहाय हो गया है। किसी तरह लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है। जिम्मेदार इस कदर क्यूं विवश हैं समझ से परे है। कमीशन का चढ़ावा या तो उन तक पहुंचता है या फिर उन्हें यह डर रहता है कि अगर कहीं कार्रवाई किए तो समस्या और न बढ़ जाय। जो भी हो अधिकारियों के इसी विवशता का कुछ चिकित्सक फायदा उठा रहे हैं।
200 बेड का जिला अस्पताल जब बना तो जनपदवासियों में उम्मीद जगी कि अब हमारा उचित हो सकेगा। इतना ही नहीं सीटी स्कैन लगाने के साथ ही डायलिसिस मशीन, डिजिटल एक्सरे आदि अत्याधुनिक मशीनें लगाने की कवायद काफी तेजी से चल रही है। अब सबसे बड़ी समस्या यह हो गई है कि इन मशीनों से जांच कौन करेगा और कौन पर्ची पर जांच के लिए लिखेगा? क्योंकि अस्पताल में न तो कोई सर्जन है, न आर्थो सर्जन है। इतना ही नहीं मात्र एक ही फिजिशियन भी हैं और प्रतिदिन करीब 800 मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं। मामूली रूप से फ्रैक्चर होने पर भी उन्हें रेफर कर दिया जाता है। बाहर की दवा लिखने वाले कुछ चर्चित चिकित्सकों को सीएमएस कई बार चेतावनी भी दे चुके हैं। जिम्मेदार अधिकारियों के सबकुछ जानकारी में है। वह कार्रवाई करने से इसलिए कतराते हैं कि और चिकित्सकों की कमी हो जाएगी तो परेशानी काफी बढ़ जाएगी। ऐसे में जिले की गरीब जनता पिस रही है। स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी जिलाधिकारी सहित शासन व जिले के जनप्रतिनिधियों से इसकी शिकायत कर चुके हैं। बावजूद इसके वर्षों से यहां चिकित्सकों की कमी बनी हुई है।
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