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अजब प्रशासन, संक्रमित कहीं के और पता कहीं का

घर का पता गलत होने से हलकान रहा जिला प्रशासन

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 May 2020 07:12 PM (IST)Updated: Thu, 21 May 2020 08:01 PM (IST)
अजब प्रशासन, संक्रमित कहीं के और पता कहीं का

जासं, गाजीपुर : लापरवाह जिला प्रशासन की नादानी जिले को कोरोना महामारी के प्रकोप में झोंक दे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं। गंभीर माने जाने वाले जिन संदिग्धों के स्वैब जांच को भेजे गए थे जिला प्रशासन को उनका पता तक नहीं था, जबकि उन्हें हर हाल में न सिर्फ क्वारंटाइन सेंटर में रखना है बल्कि उनकी बराबर मानीटरिग भी करनी होती है। बहरहाल, रातभर हांफने के बाद मोबाइल फोन से एक ही परिवार के उन सातों लोगों का लोकेशन बुजुर्गा के रामपुर जीवन गांव का मिला जिसे जिम्मेदारों ने प्रीतम नगर का बताया था। आखिर पांच दिन तक किसकी निगरानी जिला प्रशासन द्वारा की जा रही थी कौन बताएगा।

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बीते 14 मई को मुंबई से आए प्रवासियों का स्वैब 15 मई को जांच के लिए वाराणसी भेजा गया था। बीते 20 मई की देर शाम परिवार के सात सदस्यों की रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की टीम नगर के प्रीतम नगर कालोनी पहुंचकर संक्रमितों के घर की तलाश में जुट गई। वहां उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो जिम्मेदारों के होश फाख्ता हो गए। इसके बाद उनके द्वारा दर्ज कराए गए मोबाइल नंबर को ट्रेस करने के बाद मेडिकल टीम एंबुलेंस लेकर रामपुर जीवन गांव पहुंची और सभी को रेलवे जोनल ट्रेनिग सेंटर लाया गया। जहां से अन्य संक्रमितों के साथ जौनपुर भेजा गया। गांव को अब सील करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

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जब इनका यह हाल तो औरों का कवन हवाल

- जो कोरोना संदिग्ध होते हैं उनका स्वैब जांच के लिए भेजन के बाद उन्हें हर हाल में क्वांरटीन सेंटर में रहना होता है। स्वास्थ्य विभाग को इनकी निगरानी करनी होती है लेकिन सिवाय कोरम को छोड़कर कहीं कुछ हो नहीं रहा है। ऐसा न होता तो इस हद की लापरवाही कैसे होती कि जिन संदिग्धों का स्वैब टेस्ट को गया है उन्हें भी भी क्वारंटाइन नहीं किया गया। वह तो गनीमत हो कि मोबाइल नंबर से अंत में पता चल गया नहीं तो रात की तरह अब तक जिम्मेदार हांफते रहते। इस संबंध में जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य फिर अपर जिलाधिकारी राजेश सिंह को मोबाइल नंबर 9721884130 से काल किया गया तो उनका नंबर कोरोना कंट्रोल रूम में डायवर्ट मिला। फोन उठाने वाले ने कहा कि पर्सनल नंबर हो तो उस पर बात करिए।

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जिनका स्वैब भेजा जाता है उन्हें क्वांरटीन सेंटर में रहना होता है। अब कैसे वह चले गए नहीं कहा जा सकता। वैसे भी स्वास्थ्य विभाग पर बड़ा बोझ है और कर्मचारियों की संख्या कम है।

-डा. जीसी मौर्या, सीएमओ।


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