ध्वस्त शौचालय, खुले में शौच जाना मजबूरी
सेवराईं तहसील क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में बने शौचालय सिर्फ सरकारी धन के बंदरबांट तक सिमटे हैं। कहीं प्रयोग विहीन हैं तो अधिकांश ध्वस्त होकर धन की बर्बादी जाहिर कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बारा (गाजीपुर) : सेवराईं तहसील क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में बने शौचालय सिर्फ सरकारी धन के बंदरबांट तक सिमटे हैं। कहीं प्रयोग विहीन हैं तो अधिकांश ध्वस्त होकर धन की बर्बादी जाहिर कर रहे हैं। चाहे पुरुष हो अथवा महिलाएं दोनों को सुबह-शाम खुले में शौच के लिए जाने की मजबूरी है। मानव मल-मूत्र से उत्पन्न होने वाली संक्रामक बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं, बावजूद महकमे के जिम्मेदार सो रहे हैं।
गंगा एवं कर्मनाशा नदी किनारे स्थित ग्राम पंचायतों में बनाए गए शौचालयों में शायद ही कोई ऐसा हो जो प्रयोग के लिए जाना जाता हो। ताड़ीघाट - बारा मुख्य मार्ग के अलावा संपर्क मार्गों पर भोर व सायं के समय शौच करते लोगों की भारी भीड़ देखी जाती है, जिसमें महिलाओं को तरह-तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है। सर्वाधिक समस्या किशोरियों व बच्चियों को होती है, जो किसी तरह से मजबूर होकर शौच के लिए घर से निकलती हैं। बिहार सीमा एवं कर्मनाशा के तट पर स्थित मगरखईं गांव निवासी कैलाश यादव ने बताया कि उनके पुत्र बरमेश्वर यादव के नाम पर शौचालय निर्माण तो जरूर किया गया था, लेकिन निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया था। शौचालय की टंकी की गहराई भी एक से दो फीट से ज्यादा की नहीं की गई थी। बारिश में शौचालय ध्वस्त हो गया। अगर सही रूप से शौचालय का निर्माण किया गया होता तो आज परिवार को खुले में शौच के लिए नहीं जाना पड़ता। उनका कहना है कि शौचालय निर्माण के नाम पर ठगी की गई जिसके चलते गांव में बने अधिकांश शौचालय किसी काम के नहीं हैं। शौचालय निर्माण में लूट - खसोट के अलावा कुछ नहीं हुआ जिसके चलते सरकार की यह योजना लूट-खसोट योजना बनकर रह गई। यही कारण है कि आज भी गांवों में अधिकांश परिवार खुले में शौच करने पर मजबूर हैं। सामुदायिक शौचालय नहीं होने से परेशानी
जागरण संवाददाता, कासिमाबाद (गाजीपुर) : स्थानीय तहसील परिसर में फरियादियों के लिए सामुदायिक शौचालय की व्यवस्था नहीं है। तहसील में करीब 20 से 30 किमी से सैकड़ों फरियादियों का रोजाना आना-जाना होता रहा है। इसके चलते लोगों को काफी परेशानी होती है। तहसील में लगा वाटर कूलर खराब है। पेयजल व शौचालय की व्यवस्था न होने से लोगों में आक्रोश है। कई बार अधिवक्ताओं व लेखपालों इसके लिए आवाज उठाई लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। तहसील परिसर में कुछ पुराने शौचालय थे लेकिन अब सभी ध्वस्त हो चुके हैं। लेखपाल संघ के अध्यक्ष चितरंजन चौहान ने मांग की कि जल्द ही समस्या का समाधान हो।