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कोरोना टेस्ट में धांधली, बिना जांच के आ रही निगेटिव रिपोर्ट

अविनाश सिंह गाजीपुर जिले में कोरोना मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं में ही नहीं बल्कि ज

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Aug 2020 10:05 PM (IST)Updated: Tue, 18 Aug 2020 06:03 AM (IST)
कोरोना टेस्ट में धांधली, बिना जांच के आ रही निगेटिव रिपोर्ट

अविनाश सिंह : गाजीपुर : जिले में कोरोना मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं में ही नहीं बल्कि जांच में ही जमकर धांधली की जा रही है। बिना जांच किए ही लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आ जा रही है। ऐसे में सरकार के आंख में धूल झोंकने के साथ किट में भी स्वास्थ्य विभाग गड़बड़झाला कर रहा है। ऐसा ही मामला चंदन नगर में देखने को मिला। यहां तीन लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई, जिन्होंने जांच करायी ही नहीं थी। यह जानकारी तब हुई जब बीएचयू से आयी अपनी रिपोर्ट देखी।

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जिले में गांव-गांव व मोहल्ले-मोहल्ले में कैंप लगाकर एंटीजन किट से लोगों की कोरोना की जांच की जा रही है। पाजिटिव रिपोर्ट आने पर तो तुरंत बता दिया जाता है, लेकिन फाइनल निगेटिव रिपोर्ट बीएचयू से आती है। कोरोना के वैश्विक महामारी में जहां पूरा देश परेशान हैं, और इससे निपटने के लिए नित्य नए-नए जतन कर रहा है, वहीं जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना की जांच में ही जमकर धांधली की जा रही है। ताजा मामला नगर के चंदन नगर में देखने को मिला है। यहां 23 जुलाई को स्वास्थ्य कर्मी एंटीजन किट लेकर जांच के लिए पहुंचे थे। इस दौरान कुल 40 लोगों की जांच की गई। इसमें तीन लोग अजीत कुमार यादव, मृत्युंजय राय व मंगल प्रसाद ने कोरोना जांच के लिए रजिस्ट्रेशन तो कराया, लेकिन किसी कारणवश जांच नहीं कराई। बावजूद इसके 28 व अजीत की 29 जुलाई को मृत्युजंय राय और मंगल प्रसाद की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ गई। यह मामला तब पकड़ में जब उन्हें बीएचयू की रिपोर्ट मिली। वह देखकर वह अवाक रह गए कि हमने तो जांच करायी ही नहीं तो रिपोर्ट निगेटिव कैसे आ गई। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसा भारी संख्या में प्रतिदिन हो रहा है। इसमें सच्चाई कितनी है यह तो जांच का विषय है। स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही कहें या अधिकारियों की मनमानी

- जिस एंटीजन किट से गांव-गांव में जांच की जा रही है, अगर उसी से प्राइवेट में जांच कराने पर चार हजार से 45 सौ रुपये लगता है। इधर प्रदेश सरकार की ओर से आदेश दिया गया है कि प्रतिदिन एक लाख लोगों की कोरोना की जांच होनी चाहिए। इसके तहत पहले लोगों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। उसी के अनुसार किट मुहैया कराई जाती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग बिना जांच किए ही सरकार की आंखों में धूल झोंकते हुए अपनी गिनती पूरी कर दे रहा है। अब सवाल यह है कि जब इन लोगों की जांच हुई ही नहीं तो उस किट का क्या हुआ होगा.? इसका जवाब तो स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों के पास ही होगा, लेकिन जबसे यह मामला संज्ञान में आया है, लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। : ऐसा नहीं हो सकता। अगर पंजीकरण कराया है तो जांच भी जरुर कराई होगी। हो सकता है भीड़-भाड़ में किसी का छूट गया हो लेकिन उसकी रिपोर्ट नहीं आएगी। - डा. उमेश कुमार, एसीएमओ।


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